आदर्श मार्गदर्शक_______
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कही बार किसी के ऐसे परिस्थिति आ जाती है कि मंजिल जाना तो निश्चित है लेकिन मंजिल जाने का रास्ता मालूम नहीं होता है तो हमगूगल का उपयोग करते हैं । यह गूगल हमको सही राह बताता है । गलत राह पर हम चले जाये तो गूगल शांत रहता है ग़ुस्सा नहीं करताहै । हम सही राह पर बढ़ जाते हैं ।
ठीक इसी तरह अगर हम अपने जीवन में चल रहे है गलत राह पर चले गये तो हमको गूगल की तरह शान्त रहना चाहिये । वह सही राह की और गतिमान होना चाहिये । गुस्से व डांट कर कही हुई बात से शांति व प्रेम से कहीं गई बात ज्यादा असरदार होती है ।तो हम क्यों (दरवाजा पीटकर ) गुस्सा कर अपने श्रम व शक्ति का अपव्ययबेकार करते हैं । क्योंकि हमारे पावं तो समतल जमीन
पर भी डगमगा रहे हैं।
एक से जब हम दो होते है तो कोई किसी से कुछ तो कहता रहता है । पर जब गुस्सा आ जाता है तो दूसरा उस बात को नहीं भी सहता है । यह हमारे बिगड़े स्वभाव का ही प्रभाव है । जिससे व्यर्थ मन का तनाव बढ़ जाता है ।यदि प्यार व तर्क शक्तिसे कोई किसी को ठीक से समझाता है तो वह बात भी समझ लेता है व किसी प्रकार का गुस्सा भी नहीं आता है ।
ऐसी होती है प्रेम, स्नेह तथा पारस्परिकता की करामात आदि जिससे सच बात भी नहीं कर पाती है किसी पर भी किसी प्रकार का आघात । चलते-चलते कोई गलत राह पकड़ ले तो उस पर गुस्सा नहीं करके समझा-बुझा कर सही राह पर ही लाने का प्रयत्न करना चाहिए। गूगल की तरह जीवनका एक आदर्श मार्गदर्शक बनना चाहिए। क्योंकि गुस्सा करने से मायूसी या हठधर्मी आदि बढ़ती है । तथा साथ ही सामने वाले के मन मेंहीन भावना भी पनपती है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान )