मज़दूर दिवस विशेष (Labor Day Special)…. हंसते हंसते निभा जाती है तमाम ज़िम्मेदारियाँ
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मज़दूर भी कई श्रेणियों में पाये जाते है,
छोटे मज़दूर, बड़े मज़दूर,
गरीब मज़दूर, अमीर मजबूर,
और कुछ तो फ्री के मज़दूर भी होते हैं ।
वैसे तो हर श्रेणी के मजबूर को कुछ ना कुछ भत्ता ज़रूर मिलता है,
लेकिन फ्री वाले मज़दूर को सिर्फ़ काम ही करना होता हैं,
बदले मैं उसके उसका अधिकार कुछ ना होता हैं ।
फिर भी काम वो अपना पूरी श्रद्धा से करता है,
उसको एक भी दिन छुट्टी लेना मना है ।
बीमारी में उसको छुट्टी नहीं मिलती है ।
चौबीस घंटे उसकी जवाब देही होती है ।
केवल और केवल ज़िम्मेदारी ही उसकी होती है,
उसके अधिकारों की बात ही कभी नहीं होती है ।
उर मज़दूर का ग्रहणी है नाम, जिसको मेरा कोटि कोटि है प्रणाम ।
इस बार का मजबूर दिवस उन तमाम गृहणियों के नाम ।
जिनके कंधों पर टिका है पारिवारिक ज़िम्मेदारियों का बोझ तमाम ।
हंसते हंसते निभा जाती है तमाम ज़िम्मेदारियाँ गृहस्ती की,
फिर भी उनके नाम ना है कोई तमग़ा या इनाम ।
— सुमन मोहिनी

