हिंदुस्तान के जड़ में वीरता है जो कवियों की देन है- डॉ संजय सिंह
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अमेठी। शनिवार, अमेठी के आरआरपीजी कालेज परिसर में श्री राजर्षि रणंजय सिंह जी के 123वीं जयन्ती के अवसर पर युवा कवियों के काव्यपाठ पर आधारित काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बताते चलें कि अमेठी में 29 अप्रैल को ही 123 वर्ष पूर्व राजा रणंजय सिंह जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से अमेठी और देशभर में राजा के रूप में ऋषि तुल्य जीवन जीकर एक मिसाल स्थापित किया और काशी के विद्वानों से राजर्षि की उपाधि से विभूषित किए गए।
राजर्षि रणंजय सिंह को प्रेम से अमेठी के लोग बुढ़ऊ महाराज कहकर बुलाते थे। शिक्षा प्रसार, धर्म प्रचार और समाज सुधार के जो बीज अमेठी में बुढ़ऊ महाराज द्वारा रोपित किये गए थे आज वो वृक्ष बनकर अमेठी के समाज को फल दे रहे हैं। यही नही राजर्षि रणंजय सिंह जी ने समाज में व्याप्त अनेकानेक कुरीतियों के दमन हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। वो राजा होते हुए भी ऋषि जीवन शैली का अनुकरण करते थे।
वैदिक धर्म प्रचार को अपना जीवन लक्ष्य बनाकर चलने वाले प्रखर आर्यसमाजी, शिक्षा को विकास की धुरी मानने वाले विद्वत्नुरागी, साहित्य और संस्कृति के अनन्य पोषक, अमेठी को विकास के राजपथ पर अग्रसर करने वाले जनप्रिय नायक के रूप में श्री राजर्षि रणञ्जय सिंह जी की छवि आज भी अमेठी वासियों में चर्चा का विषय रहती है।
राजर्षि रणंजय सिंह की जयंती के अवसर पर आरआरएसजीआई ग्रुप के सभी संस्थानों में राजर्षि जी के चित्र पर पुष्पार्चन कर श्रद्धांजलि दी गई और उनके आदर्श जीवन से प्रेरणा लेने के लिए चर्चा हुई। शनिवार सुबह आरआरपीजी में हवन-पूजन का आयोजन किया गया। इसके बाद अपराह्न दो बजे से युवा कवियों के काव्य पाठ पर आधारित काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
काव्यांजलि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अमेठी राजपरिवार के मुखिया व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ0 संजय सिंह व विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार डॉ0 अमीता सिंह उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के शुभारंभ मे मुख्य अतिथि डॉ संजय सिंह और विशिष्ट अतिथि डॉ अमीता सिंह द्वारा श्री राजर्षि रणंजय सिंह जी के चित्र पर पुष्पार्चन कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। बताते चलें कि राजर्षि रणञ्जय सिंह जी के जयंती की पूर्व संध्या के अवसर पर शुरू हुई काव्यांजलि- नए कलमकार-एक खोज कार्यक्रम में 35 वर्ष से कम आयु के कुल 34 कवियों ने भाग लिया था। जिसमे पहले दिन की काव्य प्रतियोगिता में कवियों ने मुक्तक, गीत, गजल, छंद के साथ ही वीर रस, श्रृंगार रस, हास्य-व्यंग्य, करुण रस, देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत किया।
पहले दिन के आयोजन के बाद साहित्य के विभिन्न मानकों पर परखकर कुल दस रचनाकारों अभिजित त्रिपाठी, शिवभानु कृष्णा, राम सागर, विवेक मिश्र, रश्मि रागिनी, दिवस प्रताप सिंह, अजय जायसवाल, तेजभान सिंह, रवि प्रजापति और विकास विश्व का चयन किया गया। शनिवार 29 अप्रैल को आयोजित काव्यांजलि के दूसरे दिन के कार्यक्रम में पहले दिन चयनित दस युवा रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी।
युवा कवि विवेक मिश्रा ने ‘आवा जिभिया पा माइ, कब से पुकारी माई जी’ स्वरचित अवधी में माँ शारदा की वंदना किया। युवा कवि दिवस प्रताप सिंह ने ‘सवाल करना हम अगर छोड़ देंगे तो कुछ दिनों में ये परिंदे शहर छोड़ देंगे’ रचना सुनाई। शिव भानु ने शृंगार विधा की कविता ‘देखते देखते तू खाक हो जाएगा’ सुनाया। कवि राम सागर ने ‘वो खिलाफत करेगा मुझे है पता, गुफ्तगू में बुलाने से क्या फायदा’ रचना सुनाई। युवा कवि अभिजीत त्रिपाठी ने अपनी रचना ‘है गाँव सरीखा शहर एक जहाँ संत तपस्वी रहते हैं नाम गूँजता विश्व पटल पर जिसे अमेठी कहते हैं’ और ‘ज्ञान के बल पर लहुरी काशी नाम दे दिया’ सुनाई।
शृंगार विधा के कवि विवेक मिश्रा ने अपनी रचना ‘इतना पता है कि वो दिल का काला नहीं है’ सुनाई। अतिथि कवि प्रमोद द्विवेदी ने अपनी रचनाएँ ‘इतिहास उधर चल देता है, जिस ओर जवानी चलती है’, ‘एक मात्र संकल्प यही अब भारत नया बनाएँगे’ सुनाई।
काव्यांजलि कार्यक्रम का सफल संचालन करने वाले ओज के बड़े हस्ताक्षर राम किशोर त्रिपाठी ने भी अपनी लक्ष्मीबाई पर लिखी रचना ‘लाल लाल आंखे हुई भौंहे हो गई कुटिल बोली झाँसी नही दूँगी प्राणों से भी प्यारी है’ सुनाई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश व आरआरएसजीआई की उपाध्यक्ष डॉ अमीता सिंह ने कहा कि आज युवा कवियों को देखकर विश्वास हुआ कि पूज्य महाराज जी की विरासत जारी है। डॉ अमीता सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास यही है कि अमेठी के लोगों को आगे जाने का मौका मिले। राजर्षि रणंजय सिंह जी ने अमेठी में शिक्षा की स्थापना किया वह एक युगद्रष्टा थे। राजर्षि जी ने शिक्षा को व्यवसाय के रूप में कभी नही देखा। एक मील ज्यादा चलने पर भीड़ नही मिलती।
आज हमारे विजन के साथ आरआरएसजीआई अलग छवि बना चुका है। सफलता अंतिम परिणाम में नही होती है बल्कि यह आपके प्रयास, विचार तथा नए तरीकों के प्रयोग से आती है। जब एक बार आप इनका निवेश करते हैं तो सफलता सदैव आपकी ही होगी। जीवन के सफलता का लक्ष्य सर्वोत्तम प्रयासों से प्राप्त होता है। आपको सफलता स्वयँ महसूस होती है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री व आरआरएसजीआई के अध्यक्ष डॉ0 संजय सिंह ने कहा कि पूज्य राजर्षि रणंजय सिंह जी का मकसद था वैदिक धर्म प्रचार, सादा जीवन उच्च विचार। वो अपने महल में बच्चों को बुलाकर पढ़वाते थे। आज आरआरपीजी से लाखों छात्र पढ़ कर निकल चुके हैं। अपने पॉकेट मनी से विद्यालय चलवाया। अमेठी की टेनिस टीम पूरे देश मे खेलने जाया करती थी। वो कहा करते थे की कविता ऐसी होती है जो जीवन के हर रंग को छूती है। हिंदुस्तान के जड़ में वीरता है जो कवियों की देन है। इसीलिए हम सदैव कवियों का सम्मान करते हैं। आखिरी में डॉ0 संजय सिंह ने राजर्षि रणंजय सिंह को भवपूर्ण श्रद्धाजंलि दिया।
जिसके बाद निर्णायक मण्डल ने प्रथम स्थान के लिए अभिजीत त्रिपाठी, दूसरे स्थान के लिए रश्मि रागनी तथा तीसरे स्थान के लिए शिवभानु कृष्णा को चुना गया। काव्यांजलि में नये कलमकार के रूप में प्रथम स्थान पाने वाले युवा कवि अभिजीत त्रिपाठी को 11 हजार, दूसरे स्थान पर रहने वाली रश्मि रागनी को 7500 व तीसरे स्थान पर रहने वाले युवा कवि शिवभानु कृष्णा को 5100 रुपए का नकद पुरस्कार व पदक तथा शील्ड पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ संजय सिंह और पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश डॉ अमीता सिंह द्वारा प्रदान कर सम्मानित किया गया।
काव्यांजलि में दूसरे दिन काव्यपाठ करने वाले चौथे स्थान से दसवें स्थान तक के सभी युवा कवियों को साँत्वना पुरस्कार के रूप में 2100 रुपए नकद व पदक प्रदान किया गया। साथ ही काव्यांजलि में प्रतिभाग करने वाले सभी युवा कवियों को 1100 रुपए नकद पुरस्कार और पदक मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि द्वारा प्रदान कर युवा कवियों का उत्साहवर्धन किया गया।