बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया……..
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बेटों का उत्साहवर्धन करती कविता……
संस्कारी बेटा
उचित शिक्षा ने मेरी, देखो क्या कमाल दिया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
घर के सब कामों में मेरी, मदद वो है कराता ।
बाहर के कामों में भी तो, महारथ हासिल किया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
बहनों जरा अब संभल जाओ, अब तुम बिलकुल ना घबराओ ।
झाड़ू खटका,चूल्हे चौके को, अब भाई ने सम्भाल लिया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
दादा-दादी,नाना-नानी का लाड़ला, तो पहले से ही था ।
लेकिन अब, अड़ोस पड़ोस में भी, अदब से रहने लगा है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है
अब ना कहना कोई, कि बेटे घर का काम नहीं करते ।
अब तो साक्षात उदाहरण, तुम्हारे सामने ही पड़ा है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
अब किसी भी बेटी को, ग़लत निगाह से नहीं देखता ।
ना ही किसी के प्रति, कोई ग़लत भावना रखता है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
समझ चुका है वो, कि बेटी की इज्जत करना क्या होता है ।
सब बेटियों के प्रति, सम्मान का भाव रखना सीख गया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
बड़ा कहा करते थे सब, कि बेटे काम नहीं करते ।
अब तो हर काम में, बेटियों से अव्वल आने लग गया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
जो पीछे हुआ उसे पीछे छोड़कर, आज नया वो सबक़ सीखा है ।
समाज का भी ढाँचा, अब तो देखो बदलने लग गया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हो गया है ।
उचित शिक्षा ने देखो, मेरी क्या कमाल किया है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हुआ है ।
बेटा मेरा देखो, बड़ा ही संस्कारी हुआ है ।
— सुमन मोहिनी (नई दिल्ली )