मानव की आध्यात्मिक जीवन शैली…..
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नींद है “सोना”
नींद भी सुखी होने के लिए बहुत कीमती हैं । क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिये नींद भी आवश्यक है । मैंने देखा है कितनों को
वो अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिये रात को नींद की दवाई लेकर सोते हैं उनको सहज रूप से नींद नहीं आती है । इसके साथ – साथ मैंने उनको भी देखा है की जिनके पास पैसा कम है दिन भर मजदूरी करके आते है रात को वो आराम से चैन की नींद सोते हैं और इसके विपरीत जिनके पास पैसे ज्यादा है वो नींद सही से ले नहीं पाते है ।
आज मनुष्य के पास धन, वैभव, परिवार, मकान , आदि जीवन में सुख- सुविधाओं के साधन होते हुए भी मन अशांत है मन अशांत हो तो मखमल एवं फूलों के सुख शय्या पर सोने पर भी लगेगा कांटे चुभ रहे हैं नींद नहीं है । वही मन स्वस्थ,शांत और समाधिस्थ होगा तो कहीं पर भी नींद आ जाएगी ।शांति का शुभारंभ वहीं से होता है जहां से महत्वाकांक्षा का अंत होता है। शांति के लिए जरूरी है मानवीय मूल्यों का विकास ।सत्य अहिंसा पवित्रता और नैतिकता आदि अपनाकर ही वास्तविक शांति प्राप्त कर सकते हैं। शांति का संबंध चित्तऔर मन से है, बाहर की सुख-सुविधा से नहीं , बल्कि व्यक्ति के भीतर है।
शांति होगी वहाँ मानव स्थिर होकर चैन की नींद कोई भी सो सकता हैं । महात्मा गांधी का चिंतन था कि मैं उस तरह की शांति नहीं चाहता जो कब्रों में मिलती है, मैं तो उस तरह की शांति चाहता हूं, जिसका निवास मनुष्य के हृदय में है । मु्स्कान ह्रदय की मधुरता की तरफ इशारा करती है और शान्ति मनुष्य के व्यक्तित्व की परिपक्वता की तरफ इशारा करती है और दोनों का होना मनुष्य की संपूर्णता होने का इशारा करती है |
साधनों की सम्पन्नता से मख़मली पलंग ख़रीद सकते हैं हम नींद नही खरीद सकते है । मनुष्य की शांति के सहवास से जीवन की संपूर्णता होगी तो नींद भी सुख – चैन की आयेगी ।
देखना दृष्टव्य से आगे अदृश्य को
हमारी सोच हमारे जीवन का आचरण आदि जो दृष्टव्य है वहाँ तक ही सीमित नहीं रहे उससे आगे अदृश्य को भी देखे । गुरु तुलसी ने हमें सिखलाया । चिंतन, निर्णय और क्रियान्विति में न रखो अंतर । निर्णय करो सोच समझ कर । मत बह जाना भावुकता में। भावुक बनकर निर्णय लेना अपने आप को दुविधा में डालना । दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम ।न घर के रहते न घाट के ।अतः जो भी निर्णय लो लो सोच समझ कर ।
परिणाम का दृश्य सामने देख कर।क्रियान्विति में न करो देर
न हो जाए कभी बहुत देर । किसी ने बड़ा पद प्राप्त किया हो या क़िस्मत से कोई धनाढ़्य व्यक्ति बन गया हो या कोई बल से शक्तिशाली बन गया हो आदि ऐसे व्यक्ति जीवन में महान नहीं बन सकते हैं । नारियल और खजूर के पेड़ बहुत बड़े होते हैं पर वो किसी पथिक को छाया प्रदान नहीं करते हैं ।वो केवल ऊँचाई में बड़े हैं पर धूप में किसी को छाँव नहीं देते वैसे ही अमीर की चौखट से भिखारी ख़ाली हाथ लौटे वो कभी बड़ा इंसान नहीं होता है ।और आंतकवादी बहुत बलशाली होते हैं पर उनको कोई अच्छी नज़रों से नहीं देखता हैं क्योंकि हिंसा करना पाप हैं ।
दुनियाँ में बड़ा वो है जिसके हृदय में करुणा हो जैसे मदर टेरेसा बड़ा वो है जिसके दिल और मन में विनम्रता हो ।जैसे राम और युधिष्ठिर और बड़ा वो है जो किसी भी इंसान की मुसीबत में आशा की किरण बनता हो । जैसे कोरोना काल में कितनों करके दिखाया। ज्ञातअल्प अज्ञात अनन्त है। ज्ञान सिन्धु का कहाँ अन्त है? जीता है जो समभावों में सही अर्थ मे वही संत है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान )