Lok Dastak

Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi.Lok Dastak

Literary program : आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पुस्तक मेला – 2025’ का भव्य शुभारंभ

1 min read
Spread the love

 

पुस्तकें मानवता की सबसे बड़ी शिक्षक: प्रो. अमिता जैन

– 9 नवंबर तक चलेगा पुस्तक मेला, प्रतिदिन होंगे विविध आयोजन

 विशेष रिपोर्ट – गौरव अवस्थी

रायबरेली, उप्र ।

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास के तत्वावधान में आयोजित ‘पुस्तक मेला – 2025’ का शुभारंभ आज दोपहर 2 बजे रायबरेली के फ़िरोज़ गांधी डिग्री कॉलेज के मैदान परिसर में भव्यता के साथ हुआ। समारोह में साहित्य, चिकित्सीय और समाज के विविध वर्गों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

मुख्य अतिथि के रूप में एम्स रायबरेली की निदेशक डॉ. अमिता जैन ने मेले का उद्घाटन किया। विशेष अतिथि के रूप में नगर पालिका अध्यक्ष शत्रोहन सोनकर, राही विकासखंड के प्रमुख धर्मेंद्र यादव, रायबरेली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता राकेश तिवारी, सिमहैंस हॉस्पिटल के एमडी डॉ. मनीष चौहान और फिरोज़ गांधी कॉलेज के प्रबंध मंत्री अतुल भार्गव मंच पर उपस्थित रहे।

डॉ. जैन ने कहा कि “पुस्तकें मानवता की सबसे बड़ी शिक्षक हैं। डिजिटल युग में भी पढ़ने की संस्कृति को जीवित रखना समाज की जिम्मेदारी है। दुनिया की 50 भाषण हम पढ़े या जानें लेकिन मातृभाषा का अलग ही महत्व है। मातृभाषा हमें दिलों से जोड़ती है।”

नगर पालिका अध्यक्ष शत्रोहन सोनकर ने कहा कि “रायबरेली की सांस्कृतिक धरोहर को पुस्तक मेले जैसी पहल नया जीवन देती है।” राकेश तिवारी ने कहा कि आचार्य जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। डॉ मनीष चौहान ने कहा कि पुस्तकें पढ़कर ही हम जीवन को सफल और सार्थक बना सकते हैं।

पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, शिक्षकों, साहित्यकारों और नागरिकों ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया। आने वाले दिनों ये मेले में प्रतिभागियों की संख्या बढ़ सकती है। स्मृति न्यास के पदाधिकारियों ने बताया कि मेला 1 नवम्बर से 9 नवम्बर तक चलेगा।

जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग साहित्यिक, सांस्कृतिक और जनजागरण से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। आगामी दिनों में कवि सम्मेलन, नाट्य प्रस्तुति, हेल्थ कैम्प और लोक गीतों की संध्या और बच्चों की निबंध-लेखन प्रतियोगिता जैसे आयोजन होंगे।

कार्यक्रम का संचालन महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास के संयोजक गौरव अवस्थी एवं स्वागत कार्यक्रम प्रभारी राजीव भार्गव ने किया ने किया।

इस मौके पर प्रमोद त्रिपाठी, विनय द्विवेदी, सभासद परमजीत सिंह गांधी, धर्मेंद्र द्विवेदी, युगल किशोर तिवारी गिरजा शंकर मिश्रा केके मिश्रा, अनुराग त्रिपाठी, लक्ष्मीकांत शुक्ला, अतुल गुप्ता, महेंद्र अग्रवाल, रेनू श्रीवास्तव, डॉ अमिता खुबेले, किरण शुक्ला, हसन रायबरेलवी, रामबाबू मिश्रा, सुधीर द्विवेदी, स्वतंत्र पांडेय, राजेश सिंह आदि मौजूद रहे।

राजघाट पर आचार्य द्विवेदी जी की भव्य प्रतिमा होगी स्थापित: शत्रोहन सोनकर 

नगर पालिका अध्यक्ष शत्रोहन सोनकर ने बताया कि “नगर पालिका द्वारा राजघाट पर आचार्य द्विवेदी जी की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसकी लागत लगभग 20 लाख रुपये होगी।

उन्होंने कहा कि समिति जिस समर्पण से उनके नाम और विचारों को आगे बढ़ा रही है, वह समाज के लिए अनुकरणीय है।“पुस्तक मेला ऐसे प्रयासों को जन-जागरण का माध्यम बना रहा है, जो आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान की ओर प्रेरित करेगा।”

हिंदी अनुशासन और व्याकरण की नींव : राकेश तिवारी 

सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने हिंदी को अनुशासन और व्याकरण की नींव बताया। उन्होंने कहा कि आचार्य द्विवेदी हिंदी साहित्य के वह युगप्रवर्तक थे जिन्होंने हिंदी को उंगली पकड़कर चलना सिखाया। उन्होंने कहा कि उनका योगदान अमूल्य है।

अगर उन्होंने रेलवे की नौकरी न छोड़ी होती, तो शायद हिंदी को इतना सशक्त साहित्यकार न मिल पाता। उन्होंने आयोजन समिति को निरंतर इस साहित्यिक परंपरा को जीवित रखने के लिए धन्यवाद दिया।

पुस्तक मेला जैसे आयोजन हमें ऊर्जा और दिशा देते हैं: अतुल भार्गव

महाविद्यालय के प्रबंध मंत्री अतुल भार्गव ने कहा कि ऐसे बौद्धिक आयोजन समाज में नई चेतना जगाते हैं। यह न केवल ज्ञानार्जन का माध्यम हैं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और विचारों के संवाहक भी हैं।

उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले साहित्य प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं हैं। यह लेखक और पाठक के बीच संवाद का सेतु बनते हैं और नई पीढ़ी को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।उन्होंने आयोजन समिति को इस सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि “फिरोज गांधी कॉलेज सदैव ऐसे रचनात्मक आयोजनों के लिए सहयोग करता रहेगा।

आचार्य द्विवेदी की विरासत को जन-जन तक पहुंचाने का अभियान : धर्मेंद्र यादव

ब्लॉक प्रमुख धर्मेंद्र यादव ने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी केवल एक साहित्यकार नहीं, बल्कि हिंदी भाषा के युग प्रवर्तक थे। उनका नाम स्वयं में एक संस्था है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक मेला उनके आदर्शों और विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है।

रायबरेली की यह भूमि गर्व करती है कि उसने ऐसे महान साहित्यकार को जन्म दिया। द्विवेदी जी की प्रेरणा आज भी शिक्षा और समाज की प्रगति में मार्गदर्शक है।

Copyright ©2022 All rights reserved | For Website Designing and Development call Us:-8920664806
Translate »