गलतियों पर रोना सबसे बड़ी बेवकूफ़ी,करें सुधार..
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हम हर दिन को अच्छे से अच्छा करते जाये । जाने-अनजाने में हो जाएँ यदि हमसे गलती तो जल्दी माफ़ी मांग लेना चाहिए ।पश्चाताप करने से आत्मा भी हल्की बनती हैं ।अब वापिस गलती न करने की मन में पक्की ठान लो । साथ में गलती को भूल जाने की अर्ज़ी दिमाग मे डाल दो । क्योंकि गलतियो पर रोते रहना बहुत बड़ी बेवकूफ़ी है । ये बेवकूफी से सदैव बचो ।
गलतियो पर रोते रहने से राग-द्वेष की डोर जल्दी नही कटती है । मन-मस्तिष्क पर उदासी बेमतलब छा जाती हैं । यह नकरात्मक तरंगो से दिल दुखी बन जाता है ।अच्छे विचारो को आने की जगह नहीं मिलती हैं । अतः सबसे अच्छी समझदारी इसमें में ही है की गलतियो पर रोते रहने की आदत समूल समाप्त हो जाये । समय बड़ा बलवान होता है।
जो बीत गया वो वापिस लौट कर नहीं आता हैं । हम जन्म-लेते हैं जब कुछ समझ आती है तो उस समय उचित कार्य यह सोच कर टाल देते हैं कि भविष्य में कर लेंगे।पर समय अपनी गति से चलता रहता है।जो कार्य जिस समय करना चाहिये उसे नहीं करके हम नादानी में समय उजुल-फ़िज़ूल बातों में नष्ट कर देते हैं।
जब समय दस्तक देता है तब याद आता है कि जिस कार्य को हम्हें बहुत पहले करना था वो समय तो हमने नष्ट कर दिया।उस समय यह मुहावरा याद आता है कि अब पछताये तो क्या होगा जब चिड़िया चुग गयी खेत । वो ही इंसान जीवन में सफल होगा जो सही समय सही काम को क्रियान्वित करेगा। जैसे दिन शुरू होता है तो समय पर ध्यान, योगासन,स्वाध्याय,धार्मिक क्रिया आदि उचित समय पर व्यापार और पारिवारिक कार्य होते है ।
अगर इन सभी बातों में जो अमल कर लेगा।उस इंसान का जीवन सफल बन जायेगा। आने वाले पल को,कब , कहाँ , किसने आदि देखा है? धूप-छांव के मध्य संधि की, कहाँ रेखा है? इस सच्चाई को समझ जो वर्तमान मे जीता है उसने ही भविष्य को वर्तमान मे देखा है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़, राजस्थान )