भगवान के नाम लेने पाप से मुक्ति तय-प्रहलाद जी महराज
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अमेठी। भगवान के श्रवण से ही पाप से मुक्ति मिल जाती है। महाराजा दशरथ के चारो पुत्रो की लीला का संजीव मार्मिक कथा सुनाई। कथा के चतुर्थ दिवस के अवसर पर कथा व्यास प्रहलाद जी महाराज के मुखार विन्दु मुख्य यजमान काशीराम मिश्र, सावित्री देवी को ग्राम – मदुआपुर (दरपीपुर) गौरीगंज अमेठी मे दशरथ जी के चार पुत्रों के बाल लीलाओ का वर्णन करते हुये मनोरम दृश्य को प्रस्तुत किये,भगवान श्रीराम का दर्शन करने भोलेनाथ साधु के भेष में अयोध्या पधारे हैं I
जब दर्शन हेतु अन्दर प्रवेश करते हैं तब कागभुसून्डि महाराज शंकर जी से इशारे में दर्शन की लालसा जताते हैं तब भोलेनाथ बच्चे के हाथ देखने हेतु चेले को कहते कागभुसून्डि जी भगवान के कोमल चरण और हाथ छूकर कृतार्थ हो जाते हैं।शंकर जी ने जब कागभुसून्डि जी से वापस परमधाम चलने को कहते हैं तब कागभुसून्डि जी जिद्द करते हैं मुझे भगवान श्रीराम जी के हाथ का प्रसाद खाना है तभी यहाँ से जाना हो पायेगा। श्रीराम जी को जब माता द्वारा घी लगी रोटी दी जाती तब कागभुसून्डि जी जूठन हाथ से छीन कर खा लेते गजब का आनन्द मिल रहा है।
अब तो कागभुसून्डि जी अयोध्या से जाना नहीं चाह रहे थे, उधर गुरू वशिष्ठ जी को नामकरण संस्कार के लिए बुलाया जाता है।जो क्रमस: सबसे अग्रज को राम, भरत, शत्रुघ्न,लक्ष्मण।दशरथ जी द्वारा भगवान का चूडाकरण संस्कार किया जाने लगा बहुत सारे ब्राम्हणो को दक्षिणा स्वरूप बहुत उपहार भेट कर ससम्मान विदाई दी गयी। लक्ष्मण और राम जी एक दूसरे के पूरक रहेंगे जब तक धरा पर राम रहेगे तभी तक लक्ष्मण यह पहले ही निर्धारित हो चुका था। भगवान का केवल नाम लेने से दुष्टो,पापियो और चोरों की भी कैसे मुक्ति हो जाती है नारायण,केशवम, दामोदर,वासुदेव चार चोरों का जिक्र किया इनको एक साथ मोक्ष हुआ और स्वर्ग से रथ स्वयं लेने आया।
गलत करते थे लेकिन हर समय भगवान के नाम का उच्चारण किया करते थे।राम कथा सुनने वाले भक्तो में दिल्ली से पधारे हुये सौरभ तिवारी, अनिल शुक्ल,चन्द्र प्रकाश तिवारी, प्रमोद शर्मा, मनोज तिवारी, अनिल अग्रवाल, पं.नित्यानन्द,पं.सन्तोष,पं.राकेश,राजेश श्यामराय, अनुराधिका प्रसाद, आदेश, सन्तोष, सुनील, तीर्थराज,पवन विष्णु आदि सैकड़ों भक्त एकाग्रता के साथ श्रवण किये।