समझो मेरी बात…..
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दिये हैं बहुत ग़म मोहब्बत ने हमको,
ख़बर नहीं क़िस्मत कहाँ ले जा रही है हमको ।
लाख समझाया था हमने प्यार को अपने,
कि कुछ पल तो जी लो भरकर बाहों में हमको ।
प्यार मेरा ज़िद्दी है बहुत, माना ही नहीं ,
अपने उसूलों की बलि चढ़ा दिया हमको ।
समझाया था लाख हमने, कुछ पल जी लो ख़ुद के लिए भी,
शायद हमपर भरोसा ही ना आया था उनको ।
रह रह कर बातें हमारी याद आती तो होंगी,
पछतावा भी बहुत हो रहा होगा उनको ।
ये दुनिया किसी को भी बख्शती नहीं ,
ये बात अब कौन समझाए उनको ।
अच्छाई करके कौन से महान तुम बन गए,
फिर भी मिली ही है सिर्फ़ बुराई तुमको ।
इस अच्छाई बुराई के बीच फँसे हैं ऐसे,
जीना ऐन दूभर हो गया है उनको ।
वक्त है अब भी , सबक़ ले लो इससे,
ख़ुद से जीना शुरू कर , दिखा दो उनको ।
दुनिया में अच्छा बुरा जैसा कुछ भी नहीं,
दिल को जो भाए है वही अच्छा, ये बात अब समझनी है उनको । ख़ुद भी जियो और दूसरों का भी जीने का सहारा बनो,
अपने साथ कुछ पल सुकून से गुज़ारने दो उनको ।
गया वक्त लौटकर दोबारा आता नहीं हैं ,
बस इसी पल में , सुखद एहसास करा दो उनको ।
मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते है,
बनकर ज़िंदादिल, ज़िंदादिली करना सीखा दो उनको ।