ऐसे ना बिसरावो हमको, कुछ गौर करो …….
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इन्तजार..
तुम्हें याद करते करते बीती जाए रैना,
अब तो दरस दिखा दो तुम मेरे नटखट कान्हा ।
ना करो ऐसे तुम ठिठोली , अब मेरे संग,
सताओ ना ऐसे मुझको, तुम्हें है मेरी कसम ।
क्यों लेते हो परीक्षा मेरी, तुम बताओ दो ना,
मैं कितना तुमको चाहूँ, तुम जानते हो ना ।
पनघट सूना तुम बिन, सूनी है सगरी डगरिया,
जाने कैसा जादू डारा, तूने ओ सांवरिया ।
चोखट सूनी,आँगन सूना,सूनी है सगरी अटारी,
डिबिया की बाती भी थक गयी , देखत राह तुम्हारी ।
सेज पड़ी सब सुनी सूनी, ताकत राह तुम्हारी,
हर आहट पर लागत है, जैसे तुम आए हो बिहारी ।
ग्वाले ग्वालन सब उदास हैं, उदास है सगरी नगरिया,
माखन की मटकी भी दरस को,हो रहीं हैं बावरिया ।
भोर हुए गर पूछेंगे मुझसे, कहाँ गए हैं मुरारी,
सवाल जवाब बताने उनके, मोहे पड़ेंगे भारी ।
ऐसे ना बिसरावो हमको, कुछ गौर करो मुरारी,
दिन रैन तुम बिन काटन अब, पड़ रहे हैं भारी ।
ना देर करो अब आ जाओ, मुरली मधुर सुना जाओ,
मुरली की धुन से हम सबको, मंत्रमुग्ध फिर कर जाओ ।
— सुमन मोहिनी
दिल्ली