विडंबना के नमूने….
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आज हम देखते है की मानव जीवन की दैनिक – चर्या में कितना
परिवर्तन आया है । एक प्रसंग मैं जब छोटा था तो संयुक्त परिवार का चलन ज्यादा था । सबके आपस में प्रेम – स्नेह – ममत्व आदि था । सब खुश थे । लेकिन आज परिवर्तन के इस युग में एकल परिवार का चलन बढ़ गया है । एक दूसरे के प्रति अपनत्व व प्रेम आदि कहाँ रहा है ।
दूसरा प्रसंग पहले छोटे थे तो मोहल्ले आदि में सब जने मिलकर एक – दूसरे से संग खेलते थे व संग बतियाते थे लेकिन आज मोहल्ले की तो छोड़ो भाई – भाई के बीच में अपन्तव व प्रेम नहीं रहा है । तीसरा प्रसंग पहले शादी – ब्याह होते थे तो सब मिलकर काम करते थे । मेरे को ग्राम में शादी थी तो लड़की के पिता ने शादी से पहले घर आकर कहा की 2 दिन वहाँ खाना आदि खाना है व शादी के कामों में अपेक्षित सहयोग करना है ।
अब अकेला चलों का रिवाज आ गया है सब जगह । इस तरह जीवन व्यवहार के अनेकों प्रसंग हमारे सामने आते है । समय तो अपनी गति से पहले , अभी आगे आदि निर्बाध गति से चल रहा है । परिवर्तन मानव जीवन के व्यवहार , रहन – सहन आदि में आया है ।
जीवन में ऐसी कई विडंबनाएँ हैं जिनको लेकर हम उलझते रहते हैं पर हम हमारे जन्म के मुख्य ध्येय पर प्रायः ध्यान ही नहीं देते हैं। तभी तो कहा है की हमारा जीवन एक नोटबुक है । जिसका पहला व अंतिम पेज जन्म व मृत्यु तो लिखा हुआ है बाकी के पेजों को बिगाडना या संवारना स्वयं के हाथ में है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ ,राजस्थान )