शिव रात्रि पर विशेष…..शिव महिमा
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पौदगलिक दुनिया में
प्रियता और अप्रियता
की चेतना काम करती
हैं । जो शिव है ,
वह प्रिय हैं ।
इसे बदलकर भी
हम कह सकते हैं
कि जो हमारी
आस्था में समायें
हुए है । वह शिव हैं ।
यह एक स्थान है
जहाँ राग – द्वेष
चेतना का जगत
इससे भिन्न हैं ।
न कोई इष्ट हैं ,
न कोई अनिष्ट हैं ,
न कोई प्रिय हैं ,
न कोई अप्रिय हैं ,
केवल असीम आनन्द ।