दो सुंदर बातें…
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गुणवान व्यक्ति भले ही धनवान कम हो लेकिन सबके लिये वह पूजनीय आदरणीय होता है क्योंकि धन नहीं व्यक्ति के गुण अच्छे – अच्छे प्रभावशाली होते है । गुणवान व्यक्ति कही नहीं रुकता है । धरा-धाम,धन-धान्य,धी-धीरज,धरम-विवेक,प्रेम राज्य सब ही छूटे, रही एक ही टेक। जीवन में कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर नहीं आता पर उसका व्यवहार और शब्द ही मित्र और शत्रु बनाता है ।
इस संसार में मत बन बड़ा आदमी क्योंकि असली धन तो छोटेपन में है इसका मजा अनूठा होता है ।जैसे— समंदर में मिलने से पहले तक ही हर नदी का पानी मीठा होता है ।माना की चालाकियों से किसी को कुछ देर तक मोहित किया जा सकता है। पर अचल संपत्ति तो दिल का जीतना है जिसके लिए सरल और सहज होना जरुरी है। नही तो मन में उतरने और मन से उतरने में ज्यादा वक्त नही लगता है । समय परिवर्तन हो जाता है पर हम उसे पकड़ कर बैठे रहते हैं।
लोग हमें पोंगापंथी कहते रहते हैं । पर हम हैं कि ध्यान ही नहीं देते हैं। ऐसे में परिस्थिति अनुसार सोच बदलने से सब कुछ सही हो जाता है। परिस्थितिवश निरूपाय बैठे रहना हमारी भूल थी समझ में आ जाता है। शरीर त्याग से ही होता है पुनर्जन्म बहुत बार विचारों में सात्विक परिवर्तन को भी कहा जा सकता है पुनर्जन्म। नैतिकता पूर्ण हो हमारा आचार । हम जलायें सबमें भरोसे का दीप । बाँटें जन-जन में खुशियों के प्रदीप जो मिला है अनमोल जीवन उसके लिये कृतज्ञता हर रोज़ ज्ञापित करें ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़, राजस्थान )