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कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की हजारों छात्राएं ‘आरोहिणी इनीशिएटिव’ से बनेंगी सक्षम

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लखनऊ।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार यूपी की बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए मिशन शक्ति समेत कई कार्यक्रम संचालित कर रही है। इसी क्रम में सीएम योगी के निर्देश पर अब वंचित वर्ग की बेटियों को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक नए अभियान की शुरुआत की जा रही है। समग्र शिक्षा अभियान, उत्तर प्रदेश एक एनजीओ के साथ मिलकर प्रदेश के सभी 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में छात्राओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए आरोहिणी इनीशिएटिव ट्रेनिंग कार्यक्रम के तहत काम करेगा।

इसके माध्यम से वंचित वर्ग की बच्चियों को उनके जीवन में होने वाली घटनाओं की समझ पैदा करने के साथ ही अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए सक्षम बनाने का प्रयास किया जाएगा। लड़कियों को सक्षम बनाने के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की फुल टाइम टीचर्स को ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण लेने वाली अध्यापिकाएं इन बालिकाओं को शिक्षित कर सक्षम बनाएंगी और उनके लिए मददगार भी होंगी। टीचर्स की ट्रेनिंग एक फरवरी से लखनऊ में शुरू होगी।

तीन चरण में लागू होगा आरोहिणी ट्रेनिंग कार्यक्रम

महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने बताया कि आरोहिणी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जेंडर सेंसटाइजेशन है जो कि तीन स्टेज में है। इसके तहत पहले टीचर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए एक फरवरी से हर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की दो टीचर्स की ट्रेनिंग कराई जाएगी। इसके बाद ये टीचर्स विद्यालय की छात्राओं को शिक्षित करेंगी। टीचर्स के साथ-साथ यह संस्था भी लड़कियों को डिबेट और अन्य गतिविधियों के माध्यम से ग्रूम करेगी। तीसरा कम्युनिटी लेवल पर काम होगा।

इसमें उनको जेंडर सेंसटाइजेशन के मुद्दे पर अवेयर किया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत पूरे प्रदेश में 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय हैं। जिनमें से 56 विद्यालयों को 12वीं कक्षा तक अपग्रेड किया गया है। इन्हीं यंग एज की लड़कियों की समस्याओं को लेकर आरोहिणी काम कर रहा है। इस कार्यक्रम में वार्डेन की भी भूमिका होगी, जो ट्रेनिंग के लिए टीचर्स का चयन करेगी। इसके अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इस पूरे कार्यक्रम की समय-समय पर समीक्षा करेंगे।

आरोहिणी जेंडर आधारित कार्यक्रम है

स्टडी हाल एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से इस कार्यक्रम को लीड कर रहीं प्रियंका ने बताया कि आरोहिणी जेंडर आधारित कार्यक्रम है। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में वंचित वर्ग की बच्चियां पढ़ने आती हैं। जिनके परिवारों में जेंडर गैप काफी ज्यादा होता है। इस कार्यक्रम के तहत हमारा उद्देश्य है कि हम बच्चियों को उनके जीवन के विषय में समझा पाएं और उन्हें उनकी लड़ाई के लिए खुद को ही सशक्त बना सकें।

एक फरवरी से शुरू हो रहे कार्यक्रम में चिह्नित टीचर्स को ट्रेनिंग दी जाएगी। टीचर्स को बताया जाएगा कि यह प्रोग्राम कैसे काम करेगा और उन्हें बेटियों को कैसे अवेयर करना है। यह पूरा कार्यक्रम क्रिटिकल फेमिनिस्ट पेडागॉजी (आलोचनात्मक नारीवादी शिक्षाशास्त्र) पर आधारित है। इसके तहत बालिकाओं के साथ चर्चा होती है। बातचीत के दौरान कोशिश होती है कि बच्चियां अपनी समस्याओं को समझ पाएं और उन्हें जानने के साथ-साथ उनका समाधान खुद से तलाश पाएं।

समाधान तलाशने के लिए बालिकाओं को तैयार करना ही इस पूरे कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। इसकी मदद से बेटियां अपने जीवन में होने वाली अलग-अलग घटनाओं जैसे चाइल्ड मैरिज, डॉमेस्टिक वॉयलेंस, शिक्षा पूरी नहीं कर पाना या किसी भी तरीके की समस्या का नियोजित ढंग से सामना कर सकें और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा पाएं। इसके अलावा इन विद्यालयों में हमारा वार्षिक अभियान ‘डॉटर्स कैंपेन’ भी चलाया जाएगा। इसमें हर साल हम कोई न कोई मुद्दा उठाते हैं। जिसमें बच्चों के साथ, कम्युनिटी के साथ, टीचर्स के साथ एकजुट होकर इसे बड़े स्तर पर रखा जाता है।

दो फुल टाइम टीचर्स को दी जाएगी ट्रेनिंग

समग्र शिक्षा अभियान और एनजीओ के बीच जो एमओयू हुआ है उसके अनुसार, संस्था द्वारा प्रदेश के सभी 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों से दो दो फुलटाइम टीचर्स (1492 टीचर्स को वरीयता के आधार पर) को राज्य स्तरीय बालिका सुरक्षा एवं संरक्षण तथा सामुदायिक जागरूकता के मुद्दे पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। संस्था द्वारा टीचर्स को जनपद स्तर पर सहयोग प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले के बालिका शिक्षा समन्वयक को मुख्य प्रशिक्षणकर्ता के रूप में राज्य स्तर पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

साथ ही, संस्था द्वारा प्रदेश के समस्त कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के मध्य ट्रेन्ड टीचर्स, चीफ ट्रेनर डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर (बालिका शिक्षा), बाल कल्याण समिति के सदस्यों, जिला बाल कल्याण अधिकारियों तथा जिला बाल विवाह निषेध अधिकारियों के मध्य सुरक्षा एवं संरक्षण के मुद्दे पर एक सपोर्ट नेटवर्क तैयार किया जाएगा।

स्टडी हाल एजुकेशनल फाउंडेशन केवल महिला कर्मचारियों के माध्यम से क्षेत्र भ्रमण कर समय-समय पर क्षेत्र स्तर पर भी सहयोग प्रदान करेगा। संस्था द्वारा ट्रेन्ड टीचर्स को प्रति माह टेली मॉनिटरिंग सेल (फोन कॉल) के माध्यम से महिला मुद्दों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी तथा सुझाव प्रदान किए जाएंगे।

रिपोर्ट-कपिल देव सिंह(वरिष्ठ पत्रकार)

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