मैंने इशारों इशारों में पूछने की कोशिश…..रिश्तों की महत्ता
1 min read

वो सर्दी की कडकडाती ठण्ड
और तुम्हारे साथ बैठ कर,
वो शाम के समय, हाथों में
चाय के प्याले लिए हुए,
सामने जलता हुआ आलाप,
और उस आलाप की आग का
परछाया, तुम्हारे चेहरे को
चादर ए आब सा दमका रहा था |
प्रतीत हो रहा था, जैसे
लहू चेहरे पर उतर आया हो |
मेरी नजरें, बार बार तुम्हारे चेहरे
पर जाकर, रुक रही थीं,
और मन में उमंगो का ज्वार
फूट रहा था, सोच रही थी,
कि तुमको बाँहों में भर लूँ,
तुम भी बार बार, कनखियों से
मुझे झांक रहे थे, लेकिन,
कहने में सकुचा से रहे थे,
तुम गहन चिंतन में थे,
लग रहा था जैसे,
कुछ कहना चाह रहे थे,
मगर हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे |
मैंने इशारों इशारों में,
पूछने की कोशिश भी की थी
लेकिन तुम लाज के मारे,
कुछ कह नहीं पा रहे थे |
मैंने हलके से तुम्हारे हाथ को,
अपने हाथ में लेकर जैसे ही सहलाया,
तुम्हारे नयनों से अश्रुधारा बहने लगी,
तुम फूट फूट कर रोने लगे |
कारण जब पूछा मैंने,
तो तुम लड़खड़ाती आवाज में कहने लगे,
मुझे माफ़ कर दो,
मैंने तुम्हारे साथ जो दुर्व्यवहार किया,
उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ,
तुमसे नजरें नहीं मिला पा रहा था,
इसलिए नजरें झुकाए बैठा हूँ |
इतना सुनते ही, मैंने उनको अपनी
आगोश में ले लिया |
और उनको यह बताने लगी,
कि उस बात को दिल पर मत लेना,
मेरा तुमसे बस इतना है कहना ,
मैंने तो कब का तुम्हें माफ़ कर दिया,
अपने दिल से हर मैल साफ़ कर दिया |
तुम नाहक ही परेशान मत होना,
एक छोटी सी गलती की वजह से,
मुझे अपने रिश्ते को नहीं है खोना |
ये प्यार के बंधन ऐसे टूटा नहीं करते,
छोटी छोटी बातों से ऐसे रूठा नहीं करते |
माना की तुम गुस्से में बहुत कुछ कह जाते हो,
मेरे दिल को ठेस भी बहुत पहुंचाते हो |
मेरा प्यार लेकिन इतना कमजोर नहीं,
कि तुम्हारी गलतियों को माफ़ ना कर सके |
कमियां हर इंसान में होती हैं,
कोई भी यहाँ परफेक्ट नहीं |
एक दूसरे को गर हम माफ़ कर दें,
तो रिश्तों में दरार आयेगी ही नहीं |
जीतनी जल्दी हम यह बात समझ जायेंगे,
उतनी ही जल्दी हमारे रिश्ते संभल जायेंगे |
और कितने ही रिश्ते, टूटने से बच जायेंगे |
— सुमन मोहिनी
कवियत्री, नई दिल्ली