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होगी मुलाकात, करेंगे बात….

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ज़िंदगी एक इंद्र धनुष जैसी होती है।जैसे इंद्र धनुष में सात रंग होते हैं वैसे ही ज़िंदगी में समय-समय पर रंग बदलते रहते हैं ।और उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।कभी खुशहाल नुमा माहौल होता है । तो कभी अवसाद भरा,कभी अति लाभ होता है,तो कभी हानि,कभी इच्छाओं के अनुकूल होती है । ज़िंदगी तो कभी इच्छाओं के विपरीत व इच्छानुसार ।कभी नये सदस्य के आगमन से खुशहाल होती है ।

ज़िंदगी तो कभी अपनो के विक्षोह के कारण दुखी होती है ज़िंदगी।इसी का नाम है ज़िंदगी। जीवन जीना इतना आसान भी नहीं है । जब बचपन होता है तो चिंता से मुक्त होते हैं । ज्यों ज्यों हम बड़े होते जाते हैं स्वाभाविक है की बचपन से दूर होते जाते हैं। जीवन के गंभीर हिस्से में आ जाते हैं।

सहज होना भूलते जाते हैं। पर हमारी मानसिक सेहत के लिए
जरुरी है रखना बचपन की सी खुशियॉं आबाद। जब गृहस्थी बसती है तो कुछ ज़िम्मेवारीयां आती है ।जब हम एक पायदान ऊपर यानि जब माँ-बाप का दर्जा मिलता है तो बढ़ जाती है ज़िम्मेदारियाँ।और जब इसके एक दर्जा आगे बढ़ते हैं तो आती है जीवन की पूर्ण ज़िम्मेदारीयां।जीवन जीना इतना आसान नहीं।कभी परिवार के सदस्यों के ख़ुशी में शामिल होते हैं तो कभी उनके दुःख में डूब जाते हैं।

इंसान का जीवन एक सड़क की तरह होता है।कंहि रास्ता बिलकुल समतल तो कंहि उबड़ खाबड़ और कंहि टूटी सड़क।कुशल चालक वो ही होता है जो सही समय पर उचित निर्णय लेकर आगे के रास्ते को सही तरीक़े से पार कर जाये।वो ही पद्दती अगर अपने जीवन में अपना ले तो जीवन जीना आसान हो जाता है।

जीवन जीना भार नहीं लगता।इस तरह की और भी अनेकों बातें जीवन आचरण में आने की कोरोना के बाद जब हुआ शुरू मिलना-जुलना, आना-जाना तो मिलकर दो मित्र का संवाद , परिवार आदि जो बैठा हुआ है वह दिल में आज भी है । तभी तो कहा है की होगी मुलाकाते तो करेंगे बातें ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान )

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