किसानों की किस्मत के राहु-केतु बन गए हैं आवारा पशु
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प्रदेश में गो संरक्षण व संवर्धन के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक तरफ जहां करोड़ो रुपए की लागत से प्रदेश की विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर गोशालाओ को बनवाते हुए उनमें रखे गए गोवंशो की देखभाल पर पानी की तरह पैसे लगा रही है वही दूसरी तरफ आवारा पशुओं की लगातार बढ़ती संख्या के कारण किसानों के सामने गंभीर हालत उत्पन्न हो गए हैं। किसानों की किस्मत का फैसला राहु-केतु बनकर आवारा पशु कर रहे हैं I पशुओं की वजह से किसानों की फसलें लगातार बरबाद होने के कारण उनके सामने रोजी रोटी का संकट गंभीर समस्या के तौर पर मुंह फैलाए खड़ी है। खासकर वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता की बागडोर संभालने के साथ ही गोवंशों के संरक्षण व संवर्धन के पूरी तरह प्रतिबद्ध रही है। गोवंश को पूरी तरह से संरक्षित करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
किसानों की सबसे बड़ी चुनौती बने आवारा पशु
आवारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए सरकार लगातार दावे कर रही है किंतु सरकार के दावों के विपरीत वर्तमान में किसानों के सामने अगर कोई बड़ी चुनौती है तो वह आवारा पशुओं से फसलों की सुरक्षा को लेकर ही है।आवारा पशुओं की वजह से लगातार बरबाद हो रही फसलों से किसान दयनीय स्थिति में पहुंच रहा है।जिसके कारण किसान व कृषि से जुड़े परिवारों को रोजी रोटी के साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति हेतु लगातार अन्य सहारे लेने को विवश हो गए हैं। इसके साथ ही आए दिन आवारा पशुओं की चपेट मे आने की वजह से लोगो को अपनी जान देनी पड़ रही है।स्थानीय मार्गों के साथ ही हाईवे तक पर पशुओं के झुंड जमा होने से प्रतिदिन दो पहिया चार पहिया वाहनों पर सवार लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।आवारा पशुओं को लेकर कई बार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगातार किसानों की शिकायतों को देखते हुए सरकार को ठोस रणनीति के तहत कार्यवाही करनी पड़ेगी ।जिससे किसानों की फसलों के साथ ही विभिन्न राजमार्गो पर घटित होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके। कागजी खेल में माहिर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय कर आवारा पशुओं से निजात दिलाई जा सकेगी ।
जवाबदेही भी नहीं आ रही काम
प्रदेश के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में गो संरक्षण केंद्रों के तौर पर गोशालाएं बनाने का काम युद्ध स्तर पर कराते हुए उनकी देखभाल के लिए लोगों की जबाबदेही तय की गई । स्थानीय स्तर पर पंचायत सचिव व राजस्व कर्मियों को बराबर निगरानी करने की हिदायत दी जाती रही है। किंतु सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों के लाख कोशिशों व दावों के बावजूद भी विभिन्न जिलों के मुख्यालयों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में आवारा पशुओं के बड़े बड़े झुंड देखे जा रहे हैं। आवारा पशुओं के झुंड ही किसानों के खेतों में पहुंच कर उनकी महीनो की गाढ़ी कमाई व मेहनत पर पानी फेर देते हैं। किसानों की खड़ी व तैयार फसल को बीते कुछ सालों से लगातार निशाना बना रहे आवारा पशुओं से फसलों को बचाने में सरकारी महकमा नाकाम साबित हो रहा है I
मुख्यमंत्री योगी का फरमान भी बेअसर
उत्तर प्रदेश में इन दिनों हाईवे से लेकर गांव में आवारा पशु मुसीबत बनते जा रहे हैं I जहां एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिले के जिलाधिकारियों को सड़कों पर टहल रहे आवारा मवेशियों को गौशालाओं में रखने के आदेश दे चुके हैं I लेकिन इसके बाबजूद भी गौशालाओं में महज खानापूर्ति दिख रही है I आवारा पशु हाईवे पर हादसों को दावत देते दिख रहे हैं तो वहीं गांव में किसानों की फसलें बर्बाद करते दिख रहे हैं I यही वजह है कि किसान आवारा पशुओं से परेशान है और अपनी पीड़ा अधिकारियों को सुना रहा है I लेकिन इसके बाद भी अधिकारी इन किसानों की शिकायत का समाधान नहीं करते दिख रहे हैं I वही योगी सरकार भले ही कितने दावे कर दे ,कितनी गौशाला ही बना दी, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है I अगर सरकार की कार्य प्रणाली देखी जाए तो इस समस्या के लिए सरकार द्वारा हर प्रयास किया जा रहा है I इसमें कहना कोई गलत अतिशयोक्ति नहीं होगी I लेकिन जब तक जिम्मेदार अधिकारियों की इसके प्रति जवाबदेही नहीं की जाएगी Iतब तक इस समस्या का निस्तारण होना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है I और योगी सरकार का सभी फरमान बेअसर ही साबित होंगे I
रिपोर्ट-विजय यादव