जब प्रस्ताव ही नहीं होंगे पास, कैसे होगा गांवों का विकास
1 min readअमेठी I
क्षेत्र पंचायत में विकास का खाका खींचने वाली समितियां निष्क्रिय पड़ी हुई हैं। महीनों से उनकी कोई बैठक भी नहीं हुई है। इलाके में क्या काम हो रहे हैं और किसकी जरूरत है, इस पर कोई चर्चा तक नहीं है। जनता के सवाल अनुत्तरीत हैं, क्योंकि इस पर जवाबदेही तय करने वाला फोरम ही मौन है। विकास के नए प्रस्ताव नहीं लिए जा रहे है और न ही इसे मंजूरी मिल रही है। यह स्थिति तब है, जब पंचायतों को सशक्त बनाने का दावा हो रहा है। 79 सदस्यों वाले बाजार शुकल ब्लाक में क्षेत्र पंचायत समितियां गठित हैं। इन समितियों का दायित्व है कि वह अपने क्षेत्र में विकास कार्यक्रमों की निगरानी करें। जनता की जरूरतों के अनुसार नए प्रस्ताव तैयार कराएं और संबंधित सदन में उसे मंजूरी दिलाकर विकास कार्य कराएं। यही नहीं कोई कमी हो, जनता की परेशानी हो या जनता से जुड़े अन्य मुद्दों को भी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सदन में प्रस्तुत किया जाए, जिससे उस पर संबंधितों से जवाब लेकर समस्या हल कराई जा सके। इसी उद्देश्य से प्रत्येक तीन माह पर क्षेत्र पंचायत की बैठक कराने की व्यवस्था की गई है। अध्यक्ष जरूरत के अनुसार इससे अधिक भी बैठकें करा सकते हैं। पंचायती राज की यह व्यवस्था अब सिर्फ कागजों तक रह गई है।क्षेत्र पंचायत समितियों का गठन तो हुआ है, लेकिन उनकी बैठक यदा-कदा ही हो रही है। ब्लॉक की सबसे बड़े सदन क्षेत्र पंचायत की इस साल अब तक सिर्फ एक बैठक हुई है। जून में हुई यह बैठक भी बजट पास करने के लिए बुलाई गई थी। इसके बाद करीब छ माह से सदन की कार्यवाही कागजों में ही चल रही है। अब दिसंबर में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद बैठक नहीं हो पाएगी। नियमित बैठकों के अभाव में वहां विकास कार्यों का क्रियान्वयन भी प्रभावित है। निर्माण कार्यों से जुड़े जो प्रस्ताव इन बैठकों में आए, उसके बाद से सारी प्रक्रिया ठप है। ग्रामीण जनता की नुमाइंदगी करने चुनकर क्षेत्र पंचायत सदन में पहुंचे प्रतिनिधि भी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जनता के सवाल तो दूर खुद अपनी बात पहुंचाने के लिए उन्हें कई दिनों तक भटकना पड़ रहा है।
विकास कार्यों के लिए बोर्ड की सहमति जरूरी
पंचायती राज के प्रावधानों पर गौर करें तो क्षेत्र पंचायत के माध्यम से कोई कार्य कराने के लिए सदन की मंजूरी जरूरी है। क्षेत्र पंचायत समिति (सदन) के अनुमोदन के बिना कोई भी कार्य नहीं कराया जा सकता। सभी महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले इसी बैठक में ही तय किए जाते हैं। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष में चार से छह बैठक कराने की व्यवस्था की गई है। यही नहीं क्षेत्र पंचायत समितियों की बैठक सदस्यों के लिए अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखने का माध्यम भी है। इसके जरिए वह समस्या पर संबंधित अफसरों से जवाब और समाधान ले सकते हैं। बैठक की कार्यवृत्ति तैयार कर उसे उच्चाधिकारियों तक भी भेजी जाती है, जिससे उसकी निगरानी की जा सके।
मनमाने ढंग से चल रहा सदन- भूपेंद्र विक्रम सिंह
क्षेत्र पंचायत सदस्य भूपेंद्र विक्रम सिंह सहित दर्जनों क्षेत्र पंचायत सदस्यों का आरोप है कि सदन को मनमाने ढंग से चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक तीन माह में बैठक बुलाई जानी चाहिए। वर्ष में अधिकतम छह बार खुली बैठक कराया जा सकता है, मगर ब्लॉक में यह बैठक महीनों से नहीं कराई गई। क्षेत्र पंचायत की बैठक में सभी बिंदु पर खुलकर चर्चा करने की व्यवस्था है, ताकि ग्रामीण क्षेत्र की सही स्थिति सामने आए और उसके अनुरूप योजना बनाकर काम किया जा सके। सभी सदस्यों को पूर्व से बैठक की सूचना दी जानी चाहिए। यहां खुलेआम नियमों की अनदेखी हो रही है।
अंजलि सरोज, खण्ड विकास अधिकारी, बाजार शुकुल—
क्षेत्र पंचायत की पिछली बैठक जून में हुई थी। नियमानुसार साल में चार बैठकर होना चाहिए ।
मेरे कार्यकाल में अभी तक कोई बैठक नहीं हुई है I बैठक कराना ब्लाक प्रमुख का कार्य है। जल्द ही बात कर नई बैठक बुलाई जाएगी। इसमें नए विकास कार्यों के लिए योजना मांगा जाएगा।