डिंपल यादव की बड़ी जीत, बचाई अपनी विरासत
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लखनऊ I
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोक सभा के उप चुनाव की मतगणना में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के पक्ष में हुई वोटों की बारिश ने चाचा भतीजे के बीच 2016 में बनी गहरी खाई को भी पाट दिया ।गुरुवार को हुई मतगणना के घोषित परिणाम से जहां मुलायम के गढ़ रहे मैनपुरी ने इतिहास रचते हुए अब तक के इतिहास में पहली बार सपा को सभी विधान सभा क्षेत्रों में अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई, वही सपा के कद्दावर नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान अपनी परंपरागत सीट रामपुर का अभेद दुर्ग नहीं बचा सके और पहली बार रामपुर उप चुनाव में कमल खिल गया। पहली बार भाजपा के आकाश सक्सेना ने आजम खान के किले में सेंध लगाते हुए जीत हासिल की । इसके साथ ही सहारनपुर की खतौली सीट को तमाम कोशिशों के बावजूद भी भाजपा भी नही बचा सकी ।खतौली सीट से रालोद-सपा गठबंधन के प्रत्याशी रहे मदन भइया ने जीत दर्ज की है।
सपा संस्थापक व देश के रक्षा मंत्री रहे साथ ही प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के गत 10 अक्टूबर को इलाज के दौरान हुए निधन के कारण रिक्त हुई मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र के उप चुनाव परिणामों ने समाजवादी पार्टी को संजीवनी दी है। 1996 से लगातार मुलायम परिवार के गढ़ के तौर पर चर्चित मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र से तमाम कोशिशों के बावजूद भी भाजपा के सपने साकार नही हो सके। नेताजी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में सहानुभूति की लहर के साथ ही सैफई परिवार की एकजुटता ने पहली बार करिश्मा दिखाते हुए जसवंतनगर ,करहल, भोगांव, किशनी व मैनपुरी विधान सभा क्षेत्रों में अप्रत्याशित सफलता हासिल करते हुए सपा प्रत्याशी डिंपल यादव मुलायम सिंह की विरासत को बचाने में कामयाब रही। पूर्व मुख्यमंत्री व सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने अब तक के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य को 288461 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी । इस चुनाव में डिम्पल यादव को 618120 मत मिले I जबकि भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य को 329659 मत ही मिल सके I 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव करीब 90 हज़ार वोटों से जीते थे, जब कि इस बार डिम्पल के जीत का अन्तर तीन गुना अधिक है I
अखिलेश यादव ने शिवपाल को सपा झंडा सौंपा,दिए सपा व प्रसपा विलय के संकेत
तमाम आरोप-प्रत्यारोप के साथ संपन्न हुए मैनपुरी लोक सभा के उप चुनाव परिणामों में मतगणना के दौरान वोटों की बारिश ने सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच जमी बर्फ को भी पिघला दिया ।मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र के उप चुनाव परिणामों के बीच ही सैफई के एसएस मेमोरियल स्कूल में मौजूद सैफई परिवार व कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में अखिलेश यादव ने प्रसपा मुखिया शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का झंडा सौंपते हुए खुद उनकी गाड़ी में लगाया । इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि उनकी गाड़ी से अब यह झंडा कभी नहीं उतरेगा । वही मीडिया के सवालों का ज़बाब देते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि चाचा उम्र में बड़े हैं तो उन्हें पार्टी में भी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, ये कहकर सपा कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया। इसके बाद शिवपाल यादव ने अपने ट्विटर हैंडल से इस घटनाक्रम की तस्वीरे साझा कर सपा में प्रसपा के विलय के संकेत दिए हैं। शिवपाल यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के स्थान पर समाजवादी पार्टी को जोड़ दिया। घटनाक्रम के अनुसार गुरुवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के प्रमुख और अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को बृहस्पतिवार को सपा का झंडा प्रदान किया। इसी के साथ सपा में प्रसपा के विलय की अटकलें तेज हो गईं।मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव की जीत लगभग तय होने के बाद सैफई पहुंचे अखिलेश ने शिवपाल को पार्टी का झंडा प्रदान किया। सपा और शिवपाल ने अपने-अपने हैंडल से इस घटनाक्रम की तस्वीर भी ट्वीट की।
घटनाक्रम से सपा में प्रसपा के विलय के संकेत मिल रहे हैं । हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सपा के सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश द्वारा दिए गए झंडे को शिवपाल की गाड़ी पर लगा दिया गया। उन्होंने बताया कि इस घटनाक्रम से जाहिर हो रहा है कि अखिलेश और शिवपाल ने अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। गौरतलब है कि सितंबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव के बीच पार्टी और सरकार में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी। एक जनवरी 2017 को अखिलेश को सपा का अध्यक्ष बना दिया गया था। उसके बाद शिवपाल पार्टी में हाशिये पर पहुंच गये थे। सपा में ‘सम्मान’ न मिलने का आरोप लगाते हुए शिवपाल ने अगस्त 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का गठन कर लिया था। शिवपाल ने वर्ष 2019 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव सपा प्रत्याशी अक्षय यादव के खिलाफ लड़ा था। हालांकि, वह जीत नहीं सके थे, लेकिन उन्हें 90 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जिसे सपा प्रत्याशी की हार की बड़ी वजह माना गया था। शिवपाल ने इस साल की शुरुआत में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर सीट से सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था और उसमें जीत हासिल की थी। मगर उसके बाद अखिलेश से फिर से उनका मनमुटाव शुरू हो गया था। हालांकि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल ने गिले-शिकवे भुलाकर अखिलेश की पत्नी और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के पक्ष में जबरदस्त प्रचार किया था। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आने वाले शिवपाल के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में डिंपल को एक लाख से ज्यादा मतों से बढ़त हासिल हुई।
आजम खान के अभेद दुर्ग पर भाजपा की फतेह
वही लंबे समय से सपा के कद्दावर नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के अभेद दुर्ग को भाजपा के आकाश सक्सेना ने फतेह कर जीत दर्ज की है। गत दिनों न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद आजम खान की विधान सभा की सदस्यता रद्द होने के कारण रामपुर सीट रिक्त घोषित हुई थी। सपा नेता आजम खान के गढ़ में बीजेपी ने कब्जा कर लिया है। बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने सदर सीट से शानदार जीत दर्ज की है। आकाश सक्सेना को 80964 वोट मिले हैं। जबकि सपा प्रत्याशी आसिम रजा को 47262 वोट मिले हैं।आकाश सक्सेना ने 33,702 वोट से जीत दर्ज की है।

करीब 20 राउंड की मतगणना तक आगे रहे सपा प्रत्याशी आसिम रजा ने कहा कि उनके करीब ढाई लाख मतदाताओं को जिला प्रशासन ने साजिशन वोट के अधिकार से वंचित कर दिया ।जगह जगह उनके कार्यकर्ताओ पर पुलिसिया जुर्म किए गए हैं । इसी के बाद आसिम रज़ा मत गणना स्थल से निकल लिए I बताते चलें कि रामपुर विधानसभा में करीब 33% ही मतदान हुआ था फिलहाल कई मायनों में राकेश भाजपा की जीत अहम मानी जा रही है I रामपुर विस चुनाव के परिणाम में पसमांदा मुस्लिमों का अहम रोल माना जा रहा है I
रालोद ने भाजपा से छीनी खतौली सीट
वही सहारनपुर जिले की खतौली विधान सभा क्षेत्र से 2022 के आम चुनावों में विधायक चुने गए भाजपा नेता विक्रम सैनी को कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के साथ ही उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।जहां से उप चुनाव में भाजपा ने उनकी पत्नी राज कुमारी सैनी को टिकट दिया था । सपा रालोद गठबंधन ने 2022 के चुनाव में रनर रहे मदन भइया को मैदान में उतारा।इस बार बाजी मदन भइया के साथ लगी ।उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को करीब 22 हजार से अधिक मतों से हराया ।