भागवत कथा का अमृतपान से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है
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रायबरेली ।भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है। भागवत कथा घर में रहते हुए ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताता है।भागवत कथा का अमृत पीने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश होता है, और जीव पवित्र होता है।श्रीमद्भागवत महा पुराण मानव मन का मंथन कर आनंद की अनुभूति कराता है।उक्त उदगार सलोन क्षेत्र के पूरे कामता बक्स सिंह गांव में चित्र भान सिंह के यहां सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा में कथाव्यास परम श्रद्धेय गुरु जी श्री अनंत श्री समलंकृत स्वामी आनंदाश्रम जी महाराज महाराज ने व्यक्त किये।कथा के प्रथम दिन श्रीमहाराज द्वारा श्रीमद भागवत कथा का महामात्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भागवत कथा से व्यक्ति को बुराइया त्यागकर अच्छाइया ग्रहण करने की प्रेरणा मिलती है।उन्होंने कथा सुन रहे श्रोताओं को बताया की भागवत कथा सुनने से मात्र पुण्य फल की प्राप्ति होती है।कथा के प्रताप से ही राजा परीक्षित को सातवें दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।भागवत कथा भक्त और भगवान की कथा है। भक्ति मार्ग और उससे मिलने वाले पुण्य फल मनुष्य को धर्म, आस्था और आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं। स्वामी जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के स्वधाम गमन की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान जब अपनी लीला समाप्त करके अपने गोलोक धाम गए तभी से कलियुग का वास पृथ्वी पर हो गया।तक्षक नाग ने गंगा किनारे बैठे राजा परीक्षित को आकर डसा तो उनका शरीर जलकर भस्म हो गया।उन्होंने सात दिन श्रीमद् भागवत कथा सुनकर मोक्ष को प्राप्त किया।स्वामी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है।इसके श्रवण करने से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य जाग जाता है। उसकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और उसके जन्म जन्मांतर के पापों, समस्त दुखों व कष्टों का विनाश हो जाता है।इस मौके पर ब्यस्थापक संदीप सिंह, राजेश मिश्रा ,राजेश पांडेय अखिलेश सिंह सर्वेश सिंह, रविंद्र यादव आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे