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संविधान दिवस पर हुआ विचार गोष्ठी का आयोजन

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अमेठी। शनिवार को रणवीर रणंजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अमेठी में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं राजनीति विज्ञान के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत संविधान दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस गोष्ठी में अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ0 ओ0 पी0 त्रिपाठी ने कहा कि देश के हर नागरिक को संविधान के नियमों का पालन करना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने संविधान के प्रति सत्य निष्ठा और ईमानदारी की शपथ दिलाई । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ0 केसरी कुमार शुक्ला ने कहा कि संविधान का अर्थ समान रूप से देश के अंदर विधान का लागू होना है ।

आपने संविधान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला वर्तमान। विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 सुधीर सिंह ने कहा कि कोई भी संविधान तब तक अच्छा नही हो सकता जब तक उसको पालन करने वाले लोग अच्छे न हो। विचार गोष्ठी में अतिथियों का स्वागत मेराज खान सभी के प्रति आभार अजीत उपाध्याय ने एवम् संचालन बी ए की छात्रा तनु शर्मा ने किया। इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 पवन कुमार पांडेय तथा डॉ0 सीमा सिंह एवं रितु मिश्रा सहित महाविद्यालय अन्य प्राध्यापक और छात्र-छात्राओं ने सहभाग

 

राजर्षि रणंजय सिंह आसल देव पी.जी. कालेज पीपरपुर अमेठी में मनाया गया संविधान दिवस

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र एवं डॉ अंबेडकर जी चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीपप्रज्ज्वलन से हुआ| अंशिका सिंह ने संविधान दिवस के शुभ अवसर पर बताया कि
भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया| 26 नवम्बर 2015 से प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इससे पहले इसे राष्ट्रिय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया। संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। मौलिक अधिकार हमारे ढाल के रूप में कार्य करती है | वही हमें अपने मौलिक कर्तव्यों के माध्यम से एक अच्छा नागरिक बनकर राष्ट्र एवं समाज की सेवा करनी चाहिए। कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्या डॉ संगीता सिंह ने बताया कि हमें हमारे राजनीतिक प्रजातंत्र को एक सामाजिक प्रजातंत्र भी बनाना चाहिए| सामाजिक प्रजातंत्र का अर्थ एक ऐसे जीवन पद्धति है जो स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व को जीवन के सिद्धांतों के रूप में स्वीकार करती है। कार्यक्रम संयोजिका डॉ पूनम तिवारी ने बताया कि प्रजातंत्र को वास्तव में बनाए रखने के लिए हमें अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निष्ठा पूर्वक संवैधानिक उपायों का ही सहारा लेना चाहिए। साथ ही डॉ भीमराव अंबेडकर जी की पत्नी रमाबाई के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डॉ शिव शंकर पटेल ने संविधान निर्माण पर संक्षिप्त रूप से बताया कि उन्होंने ने सिर्फ दलितों के उत्थान की बात नहीं कि साथ साथ श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के उत्थान के लिए भी बिशेष प्रयास किया | कार्यक्रम में सभी शिक्षक उपस्थित रहे।

 

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