रोक के बाद भी जहरीली पालीथीन का प्रयोग बदस्तूर जारी
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(वरिष्ठ पत्रकार )
पोलीथिन के दुष्प्रभाव की जानकारी सभी को है लेकिन हम सभी इस ओर से आँख मूंदे बैठे हुए हैं I इसे रोकने के सरकारी और गैर सरकारी प्रयास हमेशा निष्फल ही हुए हैं क्योकि पॉलिथीन का उपयोग थमने का नाम नहीं ले रहा है I सरकारें भी इसे रोकने का भरसक प्रयास करती अक्सर नजर जरुर आती है लेकिन प्रयासों के बावजूद पॉलीथिन का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। उत्तर प्रदेश शासन के कड़े निर्देशो के बाद प्रशासनिक अधिकारी सचेत हुए थे और छापेमारी कर पालीथीन को रोकने का प्रयास किया था। कुछ समय के लिए लगा कि पालीथिन पर रोक सफल हो जाएगी लेकिन यह सोंच कुछ ही समय मे गलत साबित हो गयी। थोड़े दिन शांत और दबे रहने के बाद पुन खुलेआम उपयोग शुरू हो गया I बाजारों में नजर दल;ए तो दिखेगा कि कोई गृहस्थी का सामान लेकर अपने घर जा रहा है तो कोई सब्जी और अन्य खाद्य पदार्थ में इसे इश्तेमाल कर रहा है।
लोगों को पॉलीथिन के दुष्प्रभावों की जानकारी है लेकिन सब कुछ जानने के बावजूद भी उसके दुष्परिणामों से बेखबर इसके इस्तेमाल पर जुटे हुए है।
पालीथिन भूजल का स्तर गिराने के साथ दे रही बीमारियों को भी न्योता देती है I
पॉलीथिन बाजारों से घर और फिर घर से खेतो तक पहुच जाती है / नष्ट ना होना इसका एक भयानक गुण है जिसके कारण यह यह खेंतो में पंहुच कर भूमि की उर्वरा क्षमता को खत्म कर देती है। जमीन में बहुतायत पहुचने से यह पानी को जमीन के अंदर जाने से रोक देती है जिससे भूजल का स्तर भी लगातार घटता जा रहा है। पॉलीथीन को जला कर नष्ट करने का प्रयास किया जाता है लेकिन इसे जलाने से निकलने वाला धुंआ ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहा है, जो ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा कारण है। चिकित्सकों की माने तो प्लास्टिक कचरा जलाने के कारण कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती है, जिससे सांस व त्वचा संबंधी बीमारियां होने का खतरा रहता है। कुल मिलाकर देखा जाय तो थोड़ी सी सहूलियत हमारा बहुत बड़ा नुकसान क्र रही है और हम इस और ध्यान नही दे रहे हैं I सरकारी के हर आदेशो पर दौड़ पड़ने वाले सरकारी कर्मचारी और प्रशासन नये निर्देश पर कुछ समय के लिए तो सक्रिय नजर आता है लेकिन थोड़े ही समय मे वह पुन उदासीनता की गहरी खाई में चला जाता है I प्रशासन की इसी उदासीनता के चलते पॉलीथिन प्रतिबंध का असर फुस्स हो जाता है।
सालों की सजा और लाखों का जुर्माना फिर भी धड़ल्ले से चल रही बिक्री।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जुलाई 2018 से पॉलीथिन पर रोक है। पॉलीथिन का उपयोग करने वालों को कैद की सजा और लाखों तक का जुर्माना या दोनों ही सजाएं मिल सकती है। दंड का प्रावधान तो उस पर भी है जो भी पॉलीथिन का उपयोग करता है। इस मामले में कानून भी बने है I लेकिन इसका ब्यवसाय धड़ल्ले से कस्बे से लेकर गांव के गली कूचों तक जारी है I पोलीथिन को लेकर सरकारी आदेश और दावे सब बेमानी से नजर आते हैं।
ग्राहक भी बने जिम्मेदार, तभी सफल होगा अभियान
पालीथीन हानिकारक है और पॉलीथिन पर सरकार की ओर से रोक है। लेकिन यह रोक तभी सफल हो सकती है जब आम आदमी भी अपनी जिम्मेदारी को समझे। ग्राहकों को पालीथिन में समान देने वाले दुकानदारों के मुताबिक ग्राहक हांथ में झोला पकड़ना भूल गया है। वह बाजार में हाथ हिलाता हुआ पहुच जाता है। ऐसे में दुकानदारों के सामने पालीथिन के उपयोग के सिवा चारा भी क्या बचता है। लोगों को कपड़े या कागज की थैली का उपयोग करने की आदत डालनी होगी। दुकानदारों का यह भी कहना है कि सरकार पत्ते तोड़ती है पेड़ नही काटती। पालीथिन पर रोक है तो उनका उत्पादन कैसे हो रहा है। उत्पादन पर रोक लग जाये तो बिक्री पर खुद ही रोक लग जायेगी।