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किसान शोषण केंद्र बन गया है चकबंदी कार्यालय

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जिले भर में विभिन्न गांवों में चकबंदी कार्य किया जा रहा है I लेकिन किसानों को विभाग की देरी किसानों को भारी पड़ रही है I सालों तक चलने वाली प्रक्रिया किसानों को लाभ के साथ-साथ बहुत सी समस्याओं को भी जन्म देता है I नकल सहित विभिन्न कागजात के लिए चकबंदी कार्यालय की परिक्रमा लगाने को किसान मजबूर होते हैं I इसी का पूरा फायदा विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारी उठाते हैं I इसी कड़ी में विकासखंड शुकुल बाजार के दर्जनों गांव में 5 सालों के ऊपर से चकबंदी प्रक्रिया चल रही है I शुकुल बाजार स्थित चकबंदी कार्यालय जहां पर तैनात लेखपाल द्वारा किसानों का जमकर शोषण किया जा रहा है I यहां किसान को नकल के नाम पर तैनात लेखपाल तो पहले आप को कई दिनों तक कार्यालय के चक्कर लगवाता है I जब किसान परेशान हो जाता है तो उससे मनमानी सुविधा शुल्क लेकर उसको नकल देता है I यही हाल वरासत दर्ज करने को लेकर भी चल रहा है Iसूत्र के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा गड़बड़ी मवैया रहमतगढ़ मैं तैनात लेखपाल द्वारा किया जा रहा है I यह महोदय अपने ही जिले में तैनाती पाने के नाते कभी कदार ही कार्यालय पहुंचते हैं, जिससे यहां के किसान काफी परेशान है I चकबंदी प्रक्रिया में चल रही सालों से हीला हवाली को लेकर भारतीय किसान यूनियन का एक दल जल्द ही जिला अधिकारी अमेठी से मिलने जाएगा I यह जानकारी किसान यूनियन नेता देवी दयाल शर्मा ने दी है I

आखिर क्या है चकबंदी

चंकबंदी प्रक्रिया को लेकर एक जानकार भारतीय किसान यूनियन के जिला संरक्षक देवी दयाल शर्मा की राय हैं कि चकबंदी में गांव में किसान के मौजूद कई छोटे खेतों को यानी चकों को मिलाकर एक या दो चक बनाया जाता है। आजकल जमीन बंटवारे के कारण छोटे-छोटे चक होने से खेती के लिए जरूरी सुविधाएं जुटाने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में चकबंदी के दौरान सभी खेतों तक जाने के लिए रास्ते की सुविधा मिल जाती है। इसके अलावा गांव में सार्वजनिक हित के काम जैसे स्कूल, अस्पताल, खेल का मैदान, श्मशान और सामुदायिक भवन के लिए जमीन मुहैया हो जाती है।

चकबंदी का उद्देश्य

चकबंदी के पीछे मकसद यह है कि इससे किसानों के जगह-जगह बिखरे हुए जोतों को एक स्थान पर करके बड़ा चक बना दिया जाता है I जिससे चकों की संख्या कम होती है और किसानों को खेती करने में आसानी होती है। चकबंदी हो जाने से किसान एक ही बड़े जोत में अपने संसाधन का समुचित उपयोग कर पाते हैं जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है। माना जाता है कि चकबंदी होने से गांवों में जमीन को लेकर झगड़े कम होते हैं। इसके साथ ही गांव की सार्वजनिक भूमि पर जो लोग अवैध रूप से काबिज हैं, उनसे उस भूमि को मुक्त करा लिया जाता है। चकबंदी के दौरान खेतों की सिंचाई के लिए प्रत्येक चक को नाली और आवागमन की सुविधा के लिए चकमार्ग यानी चकरोड से जोड़ दिया जाता है। चकबंदी से पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ता है क्योंकि चकबंदी में गांवों में वृक्षारोपण के लिए भी जमीन आरक्षित कर दी जाती है।

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