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शादी में देरी…उलझ कर रह गई नई पीढ़ी की जिन्दगी !

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दलजीत सिंह –

सामाजिक ताना-बाना में उलझी हुई जिंदगी का प्रभाव अब बच्चों के शादी में भी दिखने लगा है I इस आधुनिक समाज में वैवाहिक संबंधों को बनाने अथवा जोड़ने की रीति रिवाज भी परंपरागत रिवाजों से अलग-थलग पड़ने लगा है I अब इसके दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं I आज के आधुनिक समाज के लिए विवाह के संबंध में अनेक विचारणीय बिंदु सामने आ रहे हैं, जिनमें से कुछ बिंदुओं का विश्लेषण आज हम करने जा रहे हैं I जैसा कि आज बहुत से माँ-बाप अपनी बेटियो की शादी में बहुत विलंब कर रहे है I उनको अपने बराबरी के रिश्ते पसंद नही आते और जो बड़े घर पसंद आते है उनको लड़की पसंद नही आती I शादी की सही उम्र 22 से 25 तक है पर आज माँ बाप ने और अच्छा करते-करते उम्र 30 से 36 कर दी है । जिससे उनकी बेटियो के चेहरे की चमक भी कम होती जाती है । और अधिक उम्र में शादी होने के उपरांत वो लड़का उस लड़की को वो प्यार नही दे पाता जिसकी हकदार वो लड़की है । किसी भी समाज में 30% डिवोर्स की वजह यही दिखाई दे रही है । आज जीने की उम्र छोटी हो चुकी है पहले की तरह 100+ या 80+ नही होती, अब तो केवल 65+ तक जीने को मिल पायेगा कहा नहीं जा सकता है I इसी वजह से आज लड़के उम्र से पहले ही बूढ़े नजर आते है, सर गंजा हो जाता है । दूसरी वज़ह ज्यादातर लड़की वाले लड़के वालो को वापस हाँ /ना का जवाब नही दे रहे है, संभवत कुछ लोग मंन मे आपको बुरा भला बोलते होंगे I आप अपनी लाड़ली का घर बसाने निकले है, किसी का अपमान करना अच्छा नही होता कृपया आप लड़के वालो से सम्मान जनक जरूर बात करे।
तीसरी बात ये है कि कुंडली मिला के जिन्होंने भी रिश्ते किये आज उनके भी रिश्ते टूटे है ,फिर आप लोग क्यो कुंडली का जिक्र कर के रिश्ता ठुकरा देते है I इतिहास गवाह है हमारे पूर्वजो ने शायद कभी कुंडली नही मिलायी और सकुशल अपनी शादी की 75 वी सालगिरह तक मनाई, आप कुंडली को माध्यम बनाके बच्चों को घर मे बिठा के रखे हैं I उमर बढ़ती जा रही है, आता जाता हर यार दोस्त रिश्तेदार सवाल कर जाता है कि कब कर रहे हो शादी आपसे 10 वर्ष कम आयु के लोगो को 8 साल के बच्चे भी हो गए और आप 32-35 मे शादी करेंगे तो आपके बच्चों की शादी के वक्त आप अपने ही बच्चों के दादा दादी नजर आएंगे। चौथा विचारणीय बिंदु यह है कि आप घर कैसा भी चयन करे लड़की का भाग्य उसके पैदा होने से पहले ही उसके कर्मों ने लिख दिया है, उसके भाग्य में सुख लिखे हैं तो अंधेरे घर में भी रोशनी कर देगी और दुख लिखे है तो पैसे वाले भी डूब जाते है। पांचवीं बात अपने बच्चों की उम्र बर्बाद ना करे, गयी उम्र लौट कर नही आती दूसरो को देख कर अपने लिए वैसा रिश्ता देखना मूर्खता है I आप अपने बच्चों की बढ़ती उम्र के दुख को समझिए रिश्ता वो करिये, जिस लड़के वालो में लालच ना हो, लड़का संस्कारी हो, जो आपकी बेटी को प्यार करे, उसकी इज्जत करे, उम्र बहुत छोटी है आप इतने जमीन जायदाद देख कर क्या कर लेंगे कौन अपने साथ एक तिनका भी ले जा पाया है । बच्चों की बाकी उम्र उनके जीवन साथी के साथ जीने दीजिये, समय बहुत बलवान है आज की लडकियाँ पढ़ी लिखी है वो अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा तो कर ही सकती है । छठवीं बात अपनी लड़कियों के लिए साधन संपन्न घर में रिश्ता तलाशने की बजाय संस्कारी घर मे तलाश करें,योग्यता होगी तो साधन सम्पन्न वे खुद हो जाएंगे,और सहीं मायने में तभी उसकी कद्र करेंगे ।अंतिम में बस इतना ही कहना है कि यदि कन्या वाले मध्यम वर्गीय परिवार से हैं तो अपने बीच के परिवार से ही रिश्ता करिये,आपकी लड़की अपने योग्यता और संस्कार के बूते पर भाग्य खुद संवार लेगी। उक्त सभी बिंदु विचारणीय है इन पर गहरे मन से विचार करने की जरूरत है I जिससे आपको एक उम्मीद की रोशनी दिखेगी और रिश्तो की राह आसान हो जाएगी I हमें परंपरागत रीति-रिवाजों पर विश्वास करने की जरूरत है I उन्हें का अनुसरण करते हुए हम और हमारे बच्चे सुखी रहेंगे I भारतीय संस्कृति सिर्फ धर्म से ही नहीं अध्यात्म से भी जुड़ी हुई है I इनके अनेक वैज्ञानिक तथ्य भी इन रिवाजों में मिलते हैं I समय-समय पर उनकी प्रामाणिकता भी सिद्ध हुई है I इसलिए हम सभी मिलकर उक्त बिंदुओं पर विचार कर अपने जीवन को खुशहाल बनाएं और अपने बच्चों के भविष्य के प्रति जागरूक रहें I

#(लेखक के अपने विचार हैं)

 

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