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मुलायम की मैनपुरी सीट की विरासत संभालेंगी डिम्पल

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विजय यादव

लखनऊ ।सपा संस्थापक रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के गत महीने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान निधन होने के कारण मैनपुरी लोक सभा सीट रिक्त घोषित कर दी गई।चुनाव आयोग द्वारा मैनपुरी लोक सभा चुनाव की समय सारिणी जारी करने के बाद समाजवादी पार्टी के साथ ही अन्य दलों की भी निगाहे सपा के घोषित होने वाले उम्मीदवार पर टिकी हुई थी। बड़ा सवाल देश की राजनीति के साथ ही प्रदेश की रोमांचक राजनीति के अजेय योद्धा रहे मुलायम सिंह यादव की विरासत को लेकर लोगों के जेहन में उनकी मृत्यु के साथ ही शुरू हो गया था।देश की राजनीति में नेताजी व धरती पुत्र जैसी अनगिनत उपाधियों से नवाजे जा चुके मुलायम सिंह यादव ने अपने छः दशक की राजनीति में अपने कौशल व राजनीतिक दांव पेंच का लोहा मनवाया।जोड़तोड़ की राजनीति के लिए मशहूर समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की याददाश्त व जमीनी पकड़ बेजोड़ रही है।जो भी उनसे मिला जो उनके समझ में आया उसे अपने जैसा ही बनाने के लिए जो खूबी उनके अंदर थी शायद ही किसी राजनेता में रही हो ।चाहे दस्यु सरगना फूलन देवी को देश की राजनीति में सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचाने का सवाल रहा हो या अनेकों छात्र नेताओं को विधान मण्डल के सदस्य व संसद भेजने का मामला हो उन्होंने आजीवन कभी भी खतरा मोल लेने से भी नही डरें। करीब आठ बार लोक सभा सदस्य 07 बार विधान सभा सदस्य रहने के साथ ही एक एक बार वे विधान परिषद व राज्य सभा के भी सदस्य रह चुके मुलायम सिंह यादव की परंपरागत सीट मैनपुरी में प्रत्याशी घोषित करना सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने बड़ी चुनौती बन गई।पार्टी के साथ साथ परिवार को भी एकजुट रखना बहुत कुछ उनके इस फैसले पर टिका हुआ था।10 अक्टूबर को मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से अपना अधिकतम समय सैफई व परिवार के साथ बिताने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव परिवारिक रिश्तों के साथ ही बदली हुई परिस्थितियों में तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र से अपनी पत्नी व पूर्व सांसद डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित कर साफ संदेश दे दिया कि मुलायम सिंह यादव की विरासत मैनपुरी को सजाने संवारने की जिम्मेदारी का निर्वाहन करेंगे ।हालांकि लोग कयास लगाए जा रहे थे कि शिवपाल सिंह यादव धर्मेंद्र सिंह यादव अथवा तेज प्रताप यादव में से ही कोई उतरेगा ।गुरुवार को इन्ही सब कयासों के बीच पार्टी की तरफ से डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया।डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित करने के कुछ ही घंटे बाद सपा सरकार में मंत्री रहे आलोक कुमार शाक्य को मैनपुरी जिले का जिलाध्यक्ष बनाकर जातीय समीकरण को भी मजबूत बनाने की कोशिश की ।
वही प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा भी मुलायम के अभेद दुर्ग को इस बार भेदने की पूरी रणनीति तैयार करने में जुटी है।यादव बाहुल्य मैनपुरी लोक सभा उप चुनाव में भाजपा भी यादव अथवा शाक्य बिरादरी से मजबूत दावेदार उतार कर सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की मजबूत घेराबंदी करेगी ।डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के द्वारा पत्रकारों के सवाल के जवाब में मैनपुरी में कमल खिलाने की घोषणा से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मैनपुरी सीट भाजपा के लिए कितनी महत्वपूर्ण है । अनुमान लगाया जा रहा था कि सैफई परिवार से ही भाजपा किसी प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है ।फिलहाल भाजपा नेत्री व मुलायम की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव के चुनाव न लड़ने की घोषणा से सपा जरूर राहत महसूस कर रही है। बीएसपी व कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा फिलहाल मैनपुरी लोक सभा उप चुनाव में प्रत्याशी उतारने की संभावनाएं शून्य के बराबर ही दिख रही हैं। फिलहाल मुलायम की विरासत को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव बेहद ही सतर्क होकर फूंक फूंक कर फैसले ले रहे हैं। सपा के लिए राहत की बात यह भी है सपा मुखिया अखिलेश यादव का विधान सभा क्षेत्र करहल व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के विधान सभा क्षेत्र जसवंत नगर भी मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के हिस्सा है। अभी तक शिवपाल यादव का रुख भी समाजवादी पार्टी के लिए सकारात्मक ही है, जोकि सपा के शुभ संकेत है I मुलायम सिंह यादव केेे निधन के इस यदुवंशी परिवार में एकजुटता दिखाई पड़ रही है जो कि अखिलेश यादव केेेे लिए राहत  की बात है I मैनपुरी सीट पर विगत 26 वर्षों से समाजवादियों का ही कब्जा रहा है इसलिए इसे समाजवादी गढ़ भी कहा जाता है यह सीट समाजवादियों के लिए इसलिए भी मजबूत है क्योंकि यहां यादव और सात बहुसंख्यक मतदाता हैं इतना ही नहीं मौजूदा समय में अखिलेश यादव की करहल सीट और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव की जसवंतनगर सीट भी मैनपुरी लोकसभा के अंतर्गत आती है कहीं न कहीं जातीय फैक्टर क्षेत्रीय समीकरण में समाजवादी पार्टी की स्थिति मजबूत रहने की संभावना है I फिलहाल उधर भाजपा भी मैनपुरी के इस समाजवादी घर को तोड़ने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है क्योंकि इस बार मैनपुरी मुलायम सिंह के बिना वाली मैनपुरी बन चुकी है जिसका पूरा लाभ लेने के लिए सत्ता दल बेताब है  I इसमे बीजेपी कितना सफल होती है यह तो आने वाले वक्त में पता चल पाएगा I

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