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नहाय खाय के साथ शुरू हुई छठ महापर्व

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छठ की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है I छठ पूजा का पर्व नहाय खाय के साथ शुरुआत हो गई है I इस तरह आज यानी 28 अक्टूबर से महापर्व की शुरुआत हो गई है I पहले दिन महिलाएं दिन भर उपवास रख कर सिर्फ एक बार भोजन ग्रहण करती हैं I चार दिनों तक चलने वाली ये पूजा 31 अक्टूबर को ऊषा अर्घ्य देकर महिलाएं अपनी पूजा का समापन करेंगी I छठ के चार दिनों में सूर्य भगवान और छठ मैया की पूजा की जाती है I इसी बीच महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और चौथे दिन सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ती है और जल ग्रहण करती हैं I

महिलाएं क्यों रखती हैं छठ व्रत
इस पूजा का प्रचलन मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है I ये यहां का मुख्य पर्व माना जाता है I लेकिन अब इसका दायरा दिनों दिन पूरे देश में फैल चुका है I पहले बिहार,झारखंड एवं पूर्वी यूपी के लोग जहां रहते थे वहीं मना लेते थे I लेकिन अब उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों सहित दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है I इसके लिए स्थानीय सरकार व प्रशासन बाकायदा नदियों के किनारे व्यवस्था दे रहे हैं I जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो I अपने बच्चों और परिवार की भलाई, समृद्धि और प्रगति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं I माना जाता है कि षष्ठी देवी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं I पुराणों में इन्हें माता कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी षष्ठी तिथि को नवरात्रि में पूजा की जाती है I बिहार-झारखंड की स्थानीय भाषा में षष्ठी देवी को छठ मैया कहा जाता है I

 

ऐसे होती है चार दिनों की छठ पूजा

पहला दिन- नहाय खाय
छठ पूजा के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है I इस दिन महिलाएं दिन में उपवास रखती हैं I एक बार ही भोजन किया जाता है I
दूसरा दिन- खरना
छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है I महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं I व्रत रखने वाली महिलाओं द्वारा ही प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर बनाती हैं I
तीसरा दिन-सांध्य अर्घ्य
तीसरे दिन को सांध्य अर्घ्य कहा जाता है I इस दिन महिलाएं और पुरुष दोनों मिलकर संध्या काल में सूर्य को नदियों या तालाबों में कमर तक पानी में खड़े होकर सांध्य अर्घ्य दिया जाता है I

चौथा दिन- उषा अर्घ्य
छठ पूजा के आखिरी दिन को उषा अर्घ्य कहा जाता है I उषा काल में सूर्य को जल रह कर अर्घ्य दिया जाता है I इसके बाद ही भक्त छठी माई की पूजा का समापन करते हैं I तब जाकर पारण करते हैं I और 36 घण्टे का उपवास तोड़ते हैं I

अर्घ्य देते समय पढ़ते हैं ये मंत्र

इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य देते वक्त आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।  मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से तेज, बल, यश, कीर्ति और मान सम्मान में वृद्धि होती है I

छठ पूजन की सामग्री 

छठ पूजा में निम्न सामग्रियां लगती हैं–

पांच गन्ने जिसमें पत्ते लगे हों, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद का भी इंतजाम कर लें. इसके अलावा हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती की भी जरूरत पूजा के लिए पड़ती है. इनके अलावा शकरकंदी और सुथनी लेना न भूलें. मिठाई, गुड़, गेंहू और चावल का आटा और घी की भी व्यवस्था कर लें.

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