Corruption : मेरठ रजिस्ट्री ऑफिस में रिश्वतखोरी का मामला: भ्रष्टाचार पर सख्त वार जरूरी
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विशेष रिपोर्टर – रवि नाथ दीक्षित
मेरठ, उप्र।
मेरठ रजिस्ट्री कार्यालय में एंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन (ACO) की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक चपरासी को ₹5000 की घूस लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
यह छापेमारी एक साधारण सी शिकायत पर हुई, लेकिन इसने पूरे सरकारी सिस्टम की परतें खोलकर रख दीं। यह घटना केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक भ्रष्टाचार का उदाहरण है जिससे रोज़ाना लाखों लोग जूझते हैं।
सरकारी दफ्तरों में जमीन या मकान की रजिस्ट्री कराने के लिए नागरिकों को दिनों तक भटकना पड़ता है। फाइलों को जानबूझकर रोककर रखा जाता है ताकि मजबूरी में लोग रिश्वत दें। दफ्तरों के बाहर मौजूद दलाल खुलेआम यह संदेश फैलाते हैं कि बिना पैसे कोई काम संभव नहीं है। आम आदमी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए रिश्वत देना ही एकमात्र रास्ता समझ लेता है।
रिश्वतखोरी केवल पैसों का लेन-देन नहीं, बल्कि यह एक पूरे नेटवर्क को जन्म देती है। दलाल और कर्मचारी मिलकर जनता से वसूली करते हैं। कई बार ऐसे कर्मचारियों को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त होता है, जिससे उनका हौसला और बढ़ जाता है। जब एक कर्मचारी गलत कमाई करने लगता है, तो दबाव में बाकी भी इस रास्ते पर चल पड़ते हैं और पूरा दफ्तर भ्रष्टाचार का गढ़ बन जाता है।
इस व्यवस्था से आम जनता का भरोसा प्रशासन और लोकतंत्र से उठने लगता है। सबसे अधिक नुकसान गरीब और कमजोर तबके को होता है, क्योंकि उनके पास अतिरिक्त पैसे देने की क्षमता नहीं होती। नतीजा यह होता है कि सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहुंच पाता। ईमानदार नागरिक फाइलों और चक्कर में फंसकर परेशान होते रहते हैं, जबकि रिश्वत देने वालों का काम फौरन हो जाता है।
रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाने के लिए सख्त और उदाहरणात्मक कदम उठाने होंगे। रिश्वत लेते पकड़े गए कर्मचारी को सिर्फ निलंबित करना काफी नहीं है। ऐसे लोगों को सेवा से बर्खास्त कर जेल भेजना चाहिए ताकि दूसरों को भी सबक मिले। साथ ही, उनकी अवैध संपत्ति जब्त कर जनता के सामने पारदर्शी तरीके से पेश करनी चाहिए। इससे संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा।
सुधार और समाधान के ठोस सुझाव
1. रजिस्ट्री जैसे काम पूरी तरह ऑनलाइन किए जाएं ताकि मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो और रिश्वतखोरी की गुंजाइश न रहे।
2. प्रत्येक सरकारी दफ्तर में सीसीटीवी निगरानी और शिकायत निवारण प्रणाली सक्रिय की जाए।
3. नागरिकों को समझाना होगा कि रिश्वत देना बंद करें। जब जनता रिश्वत देने से इनकार करेगी, तो सिस्टम पर भी दबाव बनेगा।
4. जो कर्मचारी बिना भ्रष्टाचार के काम करते हैं, उन्हें विशेष पुरस्कार और सम्मान मिलना चाहिए।
5. जो नागरिक या कर्मचारी भ्रष्टाचार की जानकारी देते हैं, उनकी सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
6. रिश्वतखोरी में पकड़े गए आरोपियों पर तेज़ी से मुकदमा चलाकर तुरंत सजा दी जाए।
7. सरकारी दफ्तरों के बाहर सक्रिय दलालों के खिलाफ अभियान चलाकर उन्हें पूरी तरह समाप्त किया जाए।
मेरठ रजिस्ट्री ऑफिस की यह घटना भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों का आईना है। जब तक कठोर दंड, पारदर्शी प्रशासन और जागरूक नागरिक एक साथ मिलकर इसका मुकाबला नहीं करेंगे, ईमानदारी केवल भाषणों तक ही सीमित रहेगी।
भ्रष्टाचार केवल पैसों की चोरी नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। अब वक्त आ चुका है कि रिश्वतखोरी करने वालों को न केवल कानून की अदालत बल्कि समाज की अदालत में भी कठघरे में खड़ा किया जाए।

