Indian Army : भैरव’ बना पाकिस्तान का डर, बॉर्डर सुरक्षा के लिए नई रणनीति लागू
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विशेष रिपोर्ट – लोकदस्तक संवाददाता
भारतीय सेना ने चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए नई तैयारी शुरू कर दी है। सेना तेजी से ‘भैरव कमांडो’ की विशेष बटालियनों का गठन कर रही है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि अगले दो से तीन महीनों के भीतर ये कमांडो अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर दिए जाएंगे।
प्रत्येक बटालियन में लगभग 250 सैनिक होंगे, जिन्हें आधुनिक हथियारों और विशेष प्रशिक्षण से लैस किया जाएगा। सेना का लक्ष्य है कि नवंबर तक कम से कम पांच भैरव बटालियन तैयार कर दी जाएं।
क्यों बनाए जा रहे हैं भैरव कमांडो?
भारतीय सेना के पास पहले से ही पारा-स्पेशल फोर्सेज मौजूद हैं। भैरव कमांडो, सामान्य बटालियनों और स्पेशल फोर्सेज के बीच सेतु की तरह काम करेंगे। इन्हें इस तरह तैयार किया जा रहा है कि सीमा पर किसी भी अप्रत्याशित हालात में ये तुरंत कार्रवाई कर सकें।
कहां होंगी तैनाती?
सूत्रों के अनुसार, तीन भैरव बटालियन उत्तरी सीमा (लद्दाख और उससे लगे क्षेत्र) में तैनात होंगी। जबकि शेष दो को पूर्वोत्तर और पश्चिमी सीमाओं पर भेजा जाएगा। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पिछले वर्षों में हुई झड़पों और घुसपैठ की घटनाओं के मद्देनज़र सेना कोई चूक नहीं करना चाहती।
कैसे हो रहा है प्रशिक्षण?
भैरव कमांडो का चयन वर्तमान सैनिकों में से ही किया गया है। पहले इन्हें अपने-अपने रेजिमेंटल सेंटर्स पर दो से तीन महीने का बेसिक स्पेशल ट्रेनिंग दिया जा रहा है। इसके बाद इन्हें संबंधित थिएटर की स्पेशल फोर्सेज के साथ एक माह का एडवांस्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम कराया जाएगा।
भैरव कमांडो की प्रमुख जिम्मेदारियां
इनकी जिम्मेदारी होगी –
दुश्मन की गतिविधियों पर गहरी नजर रखना और जानकारी जुटाना (रेकी)।
विरोधी सेनाओं की योजनाओं को नाकाम करना।
सीमा पार विशेष अभियान चलाना।
इनकी तैनाती से सेना अपने पारा स्पेशल कमांडो को सिर्फ उच्च प्राथमिकता वाले मिशनों पर केंद्रित कर सकेगी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदली सेना की रणनीति
फिलहाल भारतीय सेना के पास 10 पारा (स्पेशल फोर्सेज) और 5 पारा (एयरबॉर्न) बटालियन हैं। भैरव कमांडो इनके पूरक बनकर काम करेंगे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ड्रोन युद्ध की अहमियत को देखते हुए सेना अब हर पैदल बटालियन में ड्रोन प्लाटून जोड़ रही है। इसके साथ ही वायु रक्षा को और मजबूत बनाने के लिए स्वदेशी मिसाइल सिस्टम भी शामिल किए जा रहे हैं।

