CRIME NEWS : ट्रेन में युवती से छेड़खानी… वर्दी पर लगा दाग”
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REPORT BY LOK REPORTER
PRAYAGRAJ NEWS।
रेल यात्रा को हमेशा सुरक्षित और आरामदायक माना जाता है। भारतीय रेलवे रोज़ाना करोड़ों यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का काम करती है। इसके लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) जैसे सुरक्षा तंत्र मौजूद हैं। इनका काम यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और अपराधों पर रोक लगाना है। लेकिन जब वही लोग, जिन पर सुरक्षा की जिम्मेदारी हो, खुद यात्रियों के साथ गलत व्यवहार करने लगें, तो सवाल उठना लाज़मी है।
ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया, जब नई दिल्ली से प्रयागराज आ रही प्रयागराज एक्सप्रेस में ड्यूटी पर तैनात जीआरपी सिपाही ने एक महिला यात्री से छेड़खानी कर दी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। इसके बाद संबंधित सिपाही को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया और जांच शुरू कर दी गई।
घटना की पूरी कहानी
यह घटना 14 अगस्त की रात की बताई जा रही है। प्रयागराज एक्सप्रेस में सफर कर रही एक युवती अपनी बर्थ पर बैठी थी। उसी ट्रेन में ड्यूटी पर तैनात जीआरपी सिपाही आशीष सिंह मौजूद था। आरोप है कि उसने महिला यात्री से अनुचित हरकतें और छेड़खानी शुरू कर दी।
युवती ने खुद को असहज महसूस करते हुए इसका विरोध किया और पास बैठे अन्य यात्रियों को जानकारी दी। इस दौरान यात्रियों ने पूरी घटना का वीडियो बना लिया। वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि ड्यूटी पर मौजूद सिपाही अनुशासनहीनता करते हुए महिला के साथ गलत बर्ताव कर रहा है।
वीडियो वायरल होने के बाद बढ़ा दबाव
आज के डिजिटल दौर में कोई भी घटना छुप नहीं सकती। जैसे ही यह वीडियो यात्रियों के जरिए सोशल मीडिया पर अपलोड हुआ, देखते ही देखते वायरल हो गया। ट्विटर (अब X), फेसबुक और व्हाट्सएप पर वीडियो तेजी से फैला। लोगों ने जीआरपी पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
कई यूजर्स ने कहा कि “जब सुरक्षा कर्मी ही महिलाओं के लिए खतरा बन जाएं तो ट्रेन में सफर कैसे सुरक्षित होगा?”सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर भारी नाराज़गी दिखी। लोगों ने महिला सुरक्षा के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाओं और दावों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।
जीआरपी और पुलिस विभाग की कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया।आरोपी सिपाही आशीष सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया गया।विभागीय जांच शुरू कर दी गई।आला अधिकारियों ने कहा कि “किसी भी स्थिति में महिला यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”रेलवे और जीआरपी ने यात्रियों को भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
यात्रियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल !
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि यह पूरे सुरक्षा तंत्र पर सवाल खड़ा करती है।अगर ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी ही छेड़खानी करने लगें तो यात्री किस पर भरोसा करेंगे? रात के समय महिलाएँ ट्रेन में किस तरह सुरक्षित महसूस कर पाएंगी?क्या सुरक्षा बलों की जवाबदेही तय करने के लिए कोई ठोस सिस्टम है?यात्रियों का कहना है कि रेलवे और जीआरपी को इस पर गहन मंथन करना होगा। सुरक्षा कर्मियों की मनोवैज्ञानिक और नैतिक ट्रेनिंग भी ज़रूरी है।
इस तरह की घटनाओ पर विशेषज्ञों की राय
कानून विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि ऐसे मामलों में सिर्फ निलंबन काफी नहीं है, बल्कि कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। महिला सुरक्षा को लेकर केवल घोषणाओं से काम नहीं चलेगा, जमीन पर ठोस व्यवस्था बनानी होगी। रेलवे को हर ट्रेन में CCTV निगरानी और शिकायत तंत्र को और मजबूत बनाना चाहिए।
आम जनता की प्रतिक्रियाएँ
घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रियाएँ कुछ इस तरह रहीं…….
“हम रात में ट्रेन में अकेले सफर करने से डरते हैं, और अब तो पुलिस से भी भरोसा उठ गया।” “रेलवे को ऐसे पुलिसवालों की तुरंत बर्खास्तगी करनी चाहिए, ताकि दूसरों को सबक मिले।” “वीडियो वायरल होना ही महिला के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा कवच बना, वरना मामला दबा दिया जाता।”
महिला सुरक्षा: केवल नारेबाजी या वास्तविक प्रयास ?
पिछले कुछ वर्षों में महिला सुरक्षा को लेकर कई योजनाएँ चलाई गई हैं:
रेलवे में “महिला हेल्पलाइन नंबर”
जीआरपी और आरपीएफ की संयुक्त गश्त
ट्रेन में स्लीपिंग कोच पर विशेष निगरानी
महिला डिब्बों में लेडी कांस्टेबल की तैनाती
लेकिन इस घटना ने दिखा दिया कि इन सबके बावजूद जमीनी स्तर पर सख़्ती की कमी है। जब तक पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारी को समझकर ईमानदारी से काम नहीं करेंगे, तब तक किसी भी योजना का फायदा सीमित रहेगा।
प्रयागराज एक्सप्रेस में हुई यह घटना न केवल एक महिला यात्री के लिए त्रासदी थी, बल्कि इसने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी। यह साफ है कि सिर्फ नारे और योजनाएँ पर्याप्त नहीं हैं। यात्रियों की सुरक्षा तभी सुनिश्चित होगी जब दोषी पुलिसकर्मियों पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई हो।
रेलवे में निगरानी व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाए। सुरक्षा बलों की जवाबदेही तय की जाए। महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सख्त नियम बनाए और लागू किए जाएँ।