Religion Spirituality : रामकृष्ण मठ लखनऊ में मनाई गई स्वामी अद्वैतानन्द जी की जयंती
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रिपोर्ट -अमित चावला
लखनऊ।
रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ में स्वामी अद्वैतानन्द जयंती भव्य रूप से मनाया गयी. सुबह शंखनाद व मंगल आरती के उपरांत मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चारण, ’नारायण शुक्तम’ का पाठ और ’जय जय रामकृष्ण भुवन मंगल’ का समूह में गायन हुआ तत्पश्चात स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा सत्प्रसंग हुआ.
शाम 6 बजे मुख्य मंदिर में संध्यारति के उपरांत रामकृष्ण मठ, लखनऊ के स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में स्वामी सारदानन्दजी द्वारा रचित ’सपर्षद-श्री रामकृष्ण स्तोत्रम’ का पाठ हुआ.
स्वामी अद्वैतानंद जी की जन्म जयंती के अवसर पर संध्या कालीन प्रवचन में रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया कि भगवान श्री रामकृष्ण के अंतरंग संन्यासी पार्षद के भीतर स्वामी अद्वैतानंद जी एक विशिष्ट आसन अधिकार करके विराजमान हैं.
इनकी उम्र श्री रामकृष्ण से भी ज्यादा थी एवं अति साधारण अवस्था से संसार के एक दुर्दैव के समय वह भगवान श्री रामकृष्ण के आश्रय में आये थे.स्वामी जी ने कहा कि श्री रामकृष्ण के उपदेश पालन करते हुए अति साधारण अवस्था से असाधारण अवस्था में अपने को उन्नीत करने में समर्थ हुए थे.
स्वामी तुरियानन्द ने एक बार कहा था-हम गोपाल-दा के बहुत ऋणी हैं, क्योंकि हमने उनसे कर्म का रहस्य सीखा. वे जो कुछ भी करते थे, उसमें व्यवस्थित और एकाग्र रहते थे. और अपनी आदतों में भी वे बहुत व्यवस्थित थे. अपने अंतिम समय तक वे नियमित रूप से ध्यान करते रहे.
अन्त में प्रवचन के उपरान्त उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

