UTTAR PRADESH DAY : बुलंदियों के क्षितिज पर उत्तर प्रदेश
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PRESENTED BY ARVIND JAY TILAK
आज उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस है। आजादी के ढाई वर्ष बाद 24 जनवरी, 1950 को उत्तर प्रदेश राज्य के गठन की अधिसूचना जारी हुई। भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश प्राचीनतम ‘गोंडवाना लैण्ड’ का एक हिस्सा है। कैम्ब्रियन युग में विन्ध्य क्रम की शैलों ने इसे धरातलीय स्वरुप दिया। भौगोलिक विविधताओं एवं सांस्कृतिक समृद्धियों से आच्छादित उत्तर प्रदेश 1836 से 1877 तक ‘उत्तर-पश्चिम प्रांत’ और 1877 से 1937 तक ‘संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध’ के नाम से जाना गया। 1937 में इसे एक नया नाम ‘संयुक्त प्रांत’ मिला। 1858 तक उत्तर प्रदेश की राजधानी आगरा, 1858 से 1921 तक इलाहाबाद और फिर 1921 में लखनऊ हो गयी।
गौर करें तो भरपूर मानव संसाधन, उर्वर भूमि और प्राकृतिक समृद्धि-संपन्नता से लैस होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश आर्थिक मोर्चे पर वह अपेक्षित मुकाम हासिल नहीं कर पाया जिसे देश के तमाम राज्यों ने हासिल किया। देखा जाता है कि जिस राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत होती है और अवसंरचना का तेजी से विस्तार होता है उस राज्य के विकास का पहिया तेजी घूमता है। उससे निवेश और प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होती है और राज्य समृद्धि की ओर छलांग लगाता है। गौर करें तो विकास का पहिया चार तरह के इंजनों के बूते दौड़ता है।
एक, निजी निवेश यानी नई परियोजनाओं में निजी क्षेत्र का निवेश। दूसरा, सार्वजनिक खर्च यानी बुनियादी ढांचे वाली विकास परियोजनाओं में सरकार का निवेश। तीसरा, आंतरिक खपत यानी वस्तुओं व सेवाओं की खपत। और चौथा वाह्य खपत यानी वस्तुओं का निर्यात। अच्छी बात यह है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार इन चारों इंजनों को गतिशील करती देखी जा रही है। यह संभव इसलिए हुआ है कि राज्य में कानून का शासन स्थापित हुआ है और अपराधियों के हौसले पस्त हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने अवसंरचनाओं को मजबूती देने के लिए बिजनेस रिफार्म एक्शन प्लान पर अमल किया है जिससे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिल रही है। सरकार ने अपनी नीतियों के बरक्स निवेश मित्र पोर्टल बनाकर उस पर 227 सेवाएं शामिल कर उद्यमियों को निवेश के लिए आकर्षित किया है।
सरकार की ‘एक जिला एक उत्पाद’ की नीति से स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिला है और निर्यात में तेजी आयी है। एक जिला एक उत्पाद मिशन से हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात हो रहा है। इससे लोगों की आमदनी बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने 2018 में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन प्रारंभ किया और वह क्रम लगातार जारी है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। पिछले साल के वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान प्राप्त 40 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव राज्य में दुनिया भर के निवेशकों की बढ़ती रुची का प्रमाण है। मौजूदा सरकार ने उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र और गुजरात की तर्ज पर विकसित करने के लिए चार ग्राउंड बेकिंग सेरेमनी का आयोजन कर चुकी है।
तकरीबन चार लाख लोगों को नए उद्योगों से रोजगार मिला है। एक आंकड़े के मुताबिक तीन ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए 200758 करोड़ के 1953 से ज्यादा उद्योग लगे। चौथी ब्रेकिंग सेरेमनी में 10 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं में से सबसे अधिक यूपीसीडा की करीब डेढ़ लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाओं की आधारशीला रखी गई। देखें तो उत्तर प्रदेश सरकार ने निवेश बढ़ाने और ‘इज ऑफ डूइंग’ बिजनेश को सुधारने में उल्लेखनीय प्रगति की है। आज उत्तर प्रदेश ‘इज ऑफ डूइंग’ बिजनेस मामले में महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। सुक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है।
राज्य में तकरीबन 90 लाख एमएसएमई आधार है, जो भारत के कुल एमएसएमई की संख्या 6.33 करोड़ में लगभग 14 प्रतिशत का योगदान देता है। अर्थव्यवस्था के मामले में 2017 में पांचवे नंबर पर रहने वाला उत्तर प्रदेश आज तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात को पीछे छोड़ देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुका है। आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2016-2017 के दरम्यान 12.75 लाख करोड़ रुपए था जो आज 2024-25 में बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपए हो चुका है। यानी देखें तो 2017 के बाद इसमें 79 फीसदी का ग्रोथ हुआ है। इसी तरह 2012 से 2017 के दरम्यान प्रतिव्यक्ति आय 48,520 रुपए था जो आज बढ़कर तकरीबन एक लाख रुपए हो चुका है।
इसी तरह 2012-2017 के बीच सिर्फ 302 किमी एक्सप्रेस वे का निर्माण हुआ जबकि 2017-2024 के दरम्यान तकरीबन एक हजार किमी से अधिक एक्सप्रेस वे का निमार्ण हो चुका है। बुंदेलखंड में रक्षा औद्योगिक गलियारा पांच हजार हेक्टेयर में छह शहरों लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट में विकसित किया जा रहा है। उम्मीद है कि इससे बुंदेलखंड के विकास को गति मिलेगी और स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। गौर करें तो उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय असंतुलन अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत अधिक है। इस असंतुलन को पाटने का सबसे बुनियादी जरुरत एक्सप्रेसवे का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होता है।
सरकार इस दिशा में पहल करते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जो कि राजधानी लखनऊ से गाजीपुर तक जुड़ा हुआ है उसे अमली जामा पहना चुकी है। इससे पूर्वांचल को विशेष लाभ हुआ है। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण अंतिम चरण में है। किसी भी राज्य के विकास के लिए कनेक्टिविटी सबसे जरुरी संसाधन होता है। कनेक्टिविटी बढ़ने से राज्य के विकास को गति मिलती है। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार इंटरनेशनल एयरपोर्ट की संख्या में वृद्धि कर रही है। अभी गत वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन तथा जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। उत्तर प्रदेश में तकरीबन एक दर्जन से अधिक हवाई अड्डों को आकार दिया जा रहा है। दर्जनों शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाओं का खाका खींच दिया गया है।
राज्य के बड़े शहर मसलन लखनऊ, नोएडा, कानपुर, गाजियाबाद में बढ़ती भीड़ को देखते हुए मेट्रो सेवा का विस्तार जोरों पर है। उत्तर प्रदेश की सरकार न सिर्फ विकास का रिकार्ड बना रही है बल्कि सनातन भारतीय संस्कृति, मूल्य, प्रतिमान और परंपरा को भी भलीभांति संरक्षित कर रही है। बात चाहे भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या को भव्यता देने की हो अथवा मुरली मनोहर कान्हा की नगरी मथुरा और वृंदावन को विराटता देने की इसमें उत्तर प्रदेश की सरकार जी-जान से जुटी हुई है। वैभव और वैराग्य के देवता महादेव की नगरी काशी हो अथवा प्रयागराज व चित्रकुट धाम सभी की देदीप्यता के प्रति उत्तर प्रदेश की सरकार अटूट निष्ठावान है। सभी तीर्थ व धाम दैवीय उर्जा से सराबोर हैं और वे भारतीय जनमानस को सहज आकर्षित कर रहे हैं।
इस समय तीर्थराज प्रयागराज में महाकुंभ लगा हुआ है। इस बार 144 वर्षों बाद विशेष शुभ मुहुर्त निर्मित हुआ है। माना जा रहा है कि इस बार के महाकुंभ में तकरीबन 40 करोड़ लोग स्नान करेंगे। देखा जा रहा है कि दुनिया भर के श्रद्धालु तीर्थराज प्रयागराज पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश की सरकार ने वहां श्रद्धालुओं के रहने, ठहरने, व खाने-पीने की उत्तम व्यवस्था कर रखी है। उधर, केंद्र सरकार भी देश के कोने-कोने से रेलगाडियों के सुचारु संचालन की उत्तम व्यवस्था की है। यह रेखांकित करता है कि सरकार लोकपर्वों को लेकर कितनी संवेदनशील है। यह निष्ठा व समर्पण ही उत्तर प्रदेश सरकार की भारतीय सांस्कृति के प्रति अनुराग का बोध करा रहा है।
हजारों वर्षों से उपेक्षित मंदिर और धाम आज अपनी संपूर्णता और ओजस्विता से आच्छादित व मर्यादित प्रतीति करा रहे हैं। मंदिरों की दिव्यता, साफ-सफाई, सुरक्षा तथा हिंदू जनमानस का उच्चतर धार्मिक-सांस्कृतिक भाव योगी सरकार में प्रस्फुटित हो रहा है।उत्तर प्रदेश में प्रयागराज का कुंभ संपूर्ण विश्व को अमृत का पान कराया वहीं अयोध्या-काशी की दीवाली के अलौकिक प्रकाशपूंज से संपूर्ण विश्व आलोकित हुआ। उसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश बुलंदियों के क्षितिज पर है और देश-दुनिया में अपनी विशिष्टता का परचम लहरा रहा है।