STAMP SCAM : यूपी में करोड़ों का हुआ स्टाम्प घोटाला, दो आरोपी गिरफ्तार
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LOK DASTAK NEWS DESK
MEERUT/LUCKNOW।
महाराष्ट्र में 2001 में तेलगी स्टाम्प पेपर घोटाला की तर्ज़ पर यूपी में भी स्टाम्प घोटाला सामने आया है I जिसमें सैकड़ों रजिस्ट्रियों में लगे स्टाम्प फर्जी पाये गये हैं I मेरठ में हुए घोटाला यूपी का सबसे बड़ा करोड़ों का स्टाम्प घोटाला माना जा रहा है I इस घोटाले के उजागर होते ही शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया I रविवार को रजिस्ट्रियों में शामिल दो गवाहों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है I अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है I
मिली जानकारी के अनुसार मेरठ में यूपी के सबसे बड़े स्टाम्प घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की गई। मेरठ क्राइम ब्रांच एवं कोतवाली पुलिस ने रजिस्ट्रियों के दो गवाहों को गिरफ्तार किया है, जबकि घोटाले का मुख्य आरोपी विशाल वर्मा अभी भी फरार है। दो दिन पहले रजिस्ट्री आफिस के कनिष्ठ सहायक लिपिक ने 997 बैनामों में स्टाम्प ड्यूटी कम लगाने और फर्जी स्टाम्प लगाने पर विभाग की ओर से क्रेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था I
पीड़ित पक्ष ने विशाल वर्मा एवं दो साथियों राहुल वर्मा निवासी प्रवेश विहार कॉलोनी मेडिकल और राहुल वर्मा निवासी रिठानी परतापुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। लेकिन विशाल वर्मा को कोर्ट से राहत मिलने के बाद भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई। घोटाले में सब-रजिस्ट्रार्स भी शामिल नहीं किए गए जबकि विशाल वर्मा की 997 रजिस्ट्रियों में फर्जी स्टांप पाए गए। इन दोनों मुकदमों की जांच क्राइम ब्रांच मेरठ कर रही है।
सभी रजिस्ट्रियों में दोनों बने थे गवाह
विशाल वर्मा द्वारा दाखिल की गई रजिस्ट्री (डीड )में लगे हुए स्टाम्प का विवरण कोषागार में अंकित नहीं है, जबकि डीड में लगे स्टाम्प पर कोषागार की मुहर लगी हुई है। हर डीड में विशाल वर्मा के हस्ताक्षर हैं सभी डीड में गवाह के रूप में राहुल पुत्र राजीव वर्मा निवासी प्रवेश विहार व राहुल वर्मा पुत्र महेश वर्मा निवासी रिठारी के हस्ताक्षर अंकित है।
मेरठ ही नहीं उत्तर प्रदेश के कई जिलों में करोड़ों रुपए के फर्जी स्टांप की घोटाले हुए हैं। सूत्रों के माने तो कुछ दस्तावेज लेखक क्यों वकीलों ने बेनामी के दस्तावेज में ऐसे स्टाम्पों का जिनका कोषागार में कोई उल्लेख नहीं हुआ है जिससे सरकार को बड़ी चपत लगी है।
ऑडिट में हुआ घोटाले का खुलासा
जब आडिट टीम ने कोषागार द्वारा विक्रय किए गए स्टाम्पों और रजिस्टार आफिस द्वारा किये गये बैनामों की आडिट हुई तो इस घोटाला की जानकारी हुई। ज़ब इसकी खबर शासन तक पहुंची। शासन प्रशासन की एक कमेटी गठित की गई। ज़ब जाँच में घपला सामने आया। इसके बाद सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की जाँच एसपी क्राइम की निगरानी में क्राइम ब्रांच को सौंपी। फिलहाल कोर्ट से विशाल को जमानत मिल चुकी है, लेकिन फिर भी फरार है।
पुलिस की पकड़ से दूर है घोटाले का मास्टर माइंड
स्टांप घोटाले का मास्टरमाइंड एवं मुख्य आरोपी विशाल वर्मा पुलिस की गिरफ्तार से बाहर है उसे पुलिस खोज रही है हालांकि दोनों उन आरोपियों को क्राइम ब्रांच ने सिविल लाइन पुलिस के हवाले कर दिया है इससे पूर्व भी विशाल वर्मा एक अन्य दर्ज मामले में फरार रहता था। हाई कोर्ट से इस बार भी जमानत आ चुका है जांच में सहयोग करने के बजाय फरार चल रहा है।
एक बात तो सिद्ध होती है कि विशाल वर्मा की शासन प्रशासन और रजिस्ट्री विभाग में गहरी पैठ है जिससे करोड़ों के घोटाले कर गया।आरोपी अफसरों के साथ वर्मा की नाइट पार्टियों में शामिल होने की भी जानकारी सामने आई है।