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INAUGURATION : महाराजा देवीबक्श सिंह विजय द्वार का दिसंबर माह में होगा लोकार्पण – गौरव सिंह

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REPORT BY NAIMISH PRATAP SINGH

LUCKNOW NEWS I 

भारत के प्रथम मुक्ति संग्राम 1857 में कंपनी सरकार को कम 5 बड़े और दो छोटे युद्धों सहित कई सैनिक झड़पों में पराजय का मुंह दिखाने वाले क्रांतिनायक महाराजा देवीबक्श सिंह को स्वतंत्र भारत में भुला दिया गया। उनके योगदान को साजिशन इतिहास के पन्नों से गायब किया गया।

गोंडा जनपद के युवा समाजसेवी गौरव सिंह , गोंडा नरेश देवीबक्श सिंह की स्मृतियों को सुरक्षित करने और देश – समाज को उनके योगदान से परिचित कराने के लिए एक विजय द्वार का निर्माण करवा रहे है , जिसका लोकार्पण इस साल के आखिरी दिसंबर माह में होना सुनिश्चित हुआ है।

आज लखनऊ में गौरव सिंह ने एक विशेष बातचीत में बताया कि इस अवसर पर सेवानिवृत्ति सैनिकों का सम्मान किया जायेगा। 5000 से ज्यादा गरीबों – निराश्रितों को कंबल वितरित किया जायेगा। विकलांगों को ट्राई साइकल दी जायेगी। प्रतिभाशाली छात्रों को पुरुस्कृत किया जायेगा। इसके अलावा महाराजा देवीबक्श सिंह के ऊपर लिखी हुई किताब का विमोचन होगा।

बताते चले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में गोंडा , बस्ती और अयोध्या के बीच पड़ने वाले लोलपुर लमती , विकास खंड : नवाबगंज नामक जिस स्थान पर कंपनी सरकार के कमांडर रोक्राफ्ट को महाराजा देवीबक्श सिंह ने पराजित किया था , उसी पवित्र भूमि पर महाराजा देवीबक्श सिंह विजय द्वार का निर्माण किया जा रहा है।

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष में उत्तर भारत में उन्होंने सर्वाधिक दीर्घ काल तक लड़ाई जारी रखी। 1858 के आखिर माह तक भारतीय उप महाद्वीप के लगभग सभी क्रांतिकारियों को कंपनी सरकार ने पराजित कर दिया था। दिसंबर 1858 में जब महाराजा देवीबक्श सिंह फिरंगियों से पराजित हो गए तब उन्होंने नेपाल से छापामार शैली में फिरंगी राज के खिलाफ 1862 तक युद्ध जारी रखा।

महाराजा देवीबक्श सिंह की सेना में केवल उनके सहयोगी राजा – जमींदार या सैनिक गण ही नहीं थे बल्कि इसमें साधारण किसान –कामगार – मजदूर , महिलाएं और युवा शामिल थे। यदि देखा जाय तो कंपनी सरकार के खिलाफ महाराजा देवीबक्श सिंह की अगुवाई में हुआ सशस्त्र संघर्ष सही मायने में लोकयुद्ध था ,जिसमें आम जनता ने भागीदारी किया था।

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