POND CONSERVATION : तालाबों का हो संरक्षण एवं सुंदरीकरण, जलभराव व संक्रमण से हो बचाव !
1 min read
REPORT BY LOK REPORTER
AMETHI NEWS I
जिले के लगभग सभी गांवों में तालाबों पर अतिक्रमण और जलभराव की समस्या तेजी से बढ़ रही है। गांवों के बीच में स्थित ये तालाब, जो पहले पानी के भंडारण और जल निकासी के लिए उपयोगी थे I
अब धीरे-धीरे अपने अस्तित्व को खो रहे हैं। बारिश के मौसम में तालाबों में पानी जमा होने के बजाय सड़कों और घरों के आस-पास जलभराव होने लगता है, जिससे गंदगी और मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
इसके परिणामस्वरूप, डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों का मानना है कि इन तालाबों का सुंदरीकरण और रख-रखाव किया जाना आवश्यक है ताकि जल संरक्षण के साथ-साथ इन स्वास्थ्य संकटों से भी निपटा जा सके।
गंदगी से फैलने वाली बीमारियाँ और जलभराव का प्रभाव
गांव के निवासी बताते हैं कि कई तालाब, जो घरों से सटे हुए हैं, अतिक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। तालाबों के किनारे घर और अन्य निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिससे उनकी प्राकृतिक जलधारण क्षमता प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही, गांवों में होने वाले जलभराव की समस्या ने ग्रामीणों को परेशान कर रखा है।
बारिश के दिनों में तालाबों में पानी इकट्ठा होने के बजाय, सड़कों और गलियों में पानी भर जाता है। इससे गंदगी और मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है, जो डेंगू, मलेरिया, और अन्य संक्रामक रोगों का कारण बन सकता है। भविष्य में, यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो इन बीमारियों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और चुनौतियाँ
तालाबों की खुदाई और संरक्षण के लिए कई सरकारी योजनाएं, जैसे कि नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम), का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं के तहत तालाबों की मरम्मत और सफाई की जा रही है। हालांकि, ग्रामीणों की यह मांग है कि गांव के भीतर स्थित और आबादी से सटे तालाबों पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
यह तालाब, जो चारों ओर से मकानों से घिरे हुए हैं, पर्यावरणीय संतुलन और स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उनका सुंदरीकरण और अतिक्रमण मुक्त होना जरूरी है ताकि जल संरक्षण हो सके और संक्रामक रोगों से बचा जा सके।
प्रशासन से उम्मीद और सुझाव
ग्रामीणों का मानना है कि इन तालाबों का संरक्षण और अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन को जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए। यह जरूरी है कि तालाबों का सर्वेक्षण कराकर अवैध कब्जे हटाए जाएं, साथ ही इन तालाबों का सुंदरीकरण भी किया जाए ताकि उनका सही उपयोग हो सके।
गांववासियों ने यह भी अपील की है कि प्रशासन तालाबों की देखरेख के लिए एक विशेष टीम नियुक्त करे, जो सुनिश्चित करे कि तालाबों पर कोई अतिक्रमण न हो और उनकी सफाई और रखरखाव नियमित रूप से होता रहे।
समाधान के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक
यह समय की आवश्यकता है कि प्रशासन, स्थानीय नेतृत्व, और ग्राम प्रधान मिलकर इस दिशा में ठोस और सामूहिक प्रयास करें। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि तालाबों पर विशेष ध्यान दिया जाए और उनकी स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
ग्रामीणों की मांग है कि तालाबों का पुनरुद्धार किया जाए, ताकि वे फिर से जल संग्रहण और जल निकासी के लिए उपयोगी हो सकें, साथ ही गांव में स्वच्छता और स्वास्थ्य के माहौल को बेहतर बनाया जा सके।
ग्रामीणों ने मांग की है कि जिले के तालाबों का सर्वेक्षण कराकर उनके सुंदरीकरण और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बहाल किया जा सकेगा, बल्कि जलभराव और संक्रामक रोगों की समस्या से भी राहत मिलेगी।
यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में बीमारियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जिससे जिले की स्वास्थ्य स्थिति और भी खराब हो सकती है। किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचते हुए, इस दिशा में ठोस कदम उठाना सभी के हित में होगा।