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DISORGANIZATION OF HEALTH DEPARTMENT : आदेश को दरकिनार कर चिकित्सक लिख रहे हैं बाहर की जांच व दवाएं

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REPORT BY MADHAV BAJPAYEE 
AMETHI NEWS I 
योगी सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतर होने का दावा कर रही है लेकिन स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से बेपटरी हो गई हैं।एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे हैं, मगर इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है।
सरकार का दावा है कि सरकारी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाएं व इंजेक्शन मुफ्त में उपलब्ध हैं। इसके बावजूद  बाजार शुकुल सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के डॉक्टर मरीजों को बाहर से मंहगी दवाएं लिखने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालात यह हैं कि कमीशन के लालच में पैरासिटामॉल व दर्द निवारक इंजेक्शन तक निजी मेडिकल स्टोर्स से मंगाए जा रहे हैं। सेहत महकमे के आला अफसर चिकित्सकों की इस मनमानी पर लगाम कसने में नाकाम नजर आ रहे हैं।
सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में तैनात चिकित्सक बेधड़क बाहर से दवा-इंजेक्शन लिख ही रहे हैं।  सीएचसी की बात करें तो यहां पर लगभग हर मर्ज के चिकित्सक मौजूद हैं। जहां पर प्रतिदिन लगभग साढ़े तीन से चार सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं।सीएचसी के चिकित्सक सेवा नियमावली को दरकिनार कर मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर्स से दवाएं लिख रहे हैं।
चौंकाने वाला तथ्य तो यह है कि जो दवाएं स्वास्थ्य विभाग के रेट कांट्रैक्ट (आरसी) में शामिल हैं, वह भी बाहर से लिखी जा रही हैं। मरीजों को बताया जाता है कि अस्पताल में मौजूद दवाओं का असर उतना नहीं होता है, जितना निजी मेडिकल स्टोर्स पर मिलने वाली पेटेंट दवाओं का होता है।जबकि डीएम से लेकर आलाधिकारी आये दिन अस्पताल का निरीक्षण भी करते रहते हैं।
निरीक्षण के दौरान डाक्टरों को बाहर की दवा न लिखने व आशाओं को केंद्र पर प्रसव कराने का सख्त निर्देश दिया गया था। लेकिन डीएम के आदेश के बावजूद चिकित्सकों की बाहर की दवा लिखने की आदत छूट नहीं रही है। वही आशा बहू अस्पताल में प्रसव न करवाने के बजाय कमीशन के चक्कर में निजी अस्पतालों में करवा रही हैं।
लोगो ने रोक लगाए जाने की मांग
राकेश ,देवनारायण ,रघुवीर,अंजनी सहित आदि लोगों ने जिलाधिकारी अमेठी ,मुख्य चिकित्सा अधिकारी अमेठी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शुकुल बाजार का आकस्मिक निरीक्षण करते हुए बाहर से लिखी जाने वाली दवाओं पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है जिससे लोगों का इलाज शासन की मंशा अनुरूप हो सके।
अवैध मेडिकल स्टोर्स की भरमार
ग्रामीणांचल में सरकारी अस्पतालों के आसपास अवैध मेडिकल स्टोर्स की भरमार है। अप्रशिक्षित लोग दवा की दुकानें खोलकर बैठे हैं। बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे इन मेडिकल स्टोर्स के मालिकों की सरकारी चिकित्सकों से सीधी सेटिंग  होती है। जैंनबगंज, महोना , सत्थिंन, किसनी ,ऊंच गांव सहित बाजारों में इस तरह की दर्जनों दुकानें हैं।
मेडिकल स्टोर पर मादक दवाओं की बिक्री ज्यादा हो रही है। जिससे युवाओं में नशे की लत पड़ती जा रही है। इन प्रतिबंधित दवाओं के सेवन से स्वास्थ्य खराब होने के साथ साथ गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना हुआ है। स्टोर संचालकों को न तो नियम कानून की चिंता है न विभाग का डर। धड़ल्ले से दवाएं बिक रही हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर द्वार कभी छापेमारी भी होती है तो दुकाने बंद हो जाती हैं। कोई ठोस कार्रवाई न होने से दुकानदारों के हौसले बुलंद है। नशेड़ी विक्रेता को चुपके से पैसा देकर दवा प्राप्त करते हैं। इन दुकानों पर अलप्राक्स, नेटरा वेट, मेंडेक्स आदि दवाएं ज्यादा बिकती हैं।औषधि प्रशासन विभाग इसपर अंकुश लगाने के लिए आखिर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करता है? यह बड़ा सवाल है।
बोले सीएमओ – होगी कार्रवाई
इस संबंध में सीएमओ डा. अंशुमान सिंह का कहना है कि जल्द ही छापेमारी की जायेगी। दोषी पाये जाने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जायेगी।

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