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भारत की प्राचीनतम भाषा है पालि, पालि भाषा में साहित्य का अपार भंडार

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REPORT BY S. BHARTI

AMETHI NEWS I

बौद्ध धर्म के अनुयायियों और अम्बेडकरवादी सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भेजकर पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करने का अनुरोध किया है। पत्र में पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करने के समर्थन में आधा दर्जन से अधिक तर्क प्रस्तुत किए हैं।

विश्व बौद्ध महासंघ के प्रदेश संरक्षक आर सी बौद्ध ने बताया कि पालि भाषा भारत की प्राचीन तम भाषा है तथा मज्झिम देश -मध्य प्रदेश में जनता की बोल चाल की भाषा रही है। इसी भाषा के माध्यम से भगवान बुद्ध ने अपने लोक कल्याण कारी उपदेश दिए।यह बौद्ध धर्म के प्राचीन ग्रंथों की भाषा है।आज भी भारतीय भाषाओं के समृद्ध और महत्वपूर्ण अंग के रूप में समादृत है। दुनिया के कई बौद्ध राष्ट्रों में यह उच्च कोटि का साहित्यिक महत्व रखती है।

बौद्ध भिक्षु भंते धम्मदीप ने कहा कि पालि साहित्य में भारतीय समाज की धार्मिक और दार्शनिक चिंतन की बहुमूल्य परम्परा उपलब्ध है। बामसेफ के जिला संयोजक संजीव भारती ने कहा कि पालि भाषा एक अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की भाषा है।इसे शास्त्रीय भाषा घोषित किया जाना चाहिए।

भारतीय बौद्ध महासभा के अध्यक्ष के पी सविता ने कहा कि पालि भाषा में उपलब्ध साहित्य में तत्कालीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के सुस्पष्ट दर्शन होते हैं। अम्बेडकर कल्याण समिति के संरक्षक इन्द्र पाल गौतम ने कहा कि पालि भाषा में हमारी साहित्यिक धरोहर की प्रमुख अंग है। सामाजिक चिंतक डॉ सुनील दत्त ने कहा कि पालि साहित्य में मनो दर्शन, चिकित्सा,मानव प्रबंधन,विधि शास्त्र और प्राकृतिक सिद्धान्तों आदि का विशद वर्णन मिलता है।

राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य और प्रखर अम्बेडकरवादी सामाजिक कार्यकर्ता शकुंतला भारती ने कहा कि पालि साहित्य, अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य के मुकाबले किसी भी स्तर पर कमजोर नहीं है। भारतीय भाषाओं में इसके हजारों शब्द विद्यमान हैं। अखिल भारतीय मौर्य कल्याण संघ के जिला महामंत्री अरुण कुमार मौर्य ने कहा कि भारतीय गणतंत्र की अवधारणा मूलतः पालि साहित्य की अमूल्य देन है।

शिक्षक रामचंद्र बौद्ध, सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सावंत, बौद्धाचार्य हौसिला प्रसाद, दयाराम गौतम, तुलसी राम शास्त्री,कवि राम चंद्र सरस, हाईकोर्ट के अधिवक्ता वासुदेव मौर्य, इंजीनियर गुरु प्रसाद गौतम, प्रवक्ता बृजलाल कोरी , राजेश अकेला,लोक कलाकार राजकुमार यादव आदि ने भी पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की मांग की है।

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