बदलेंगी पुरानी धाराएं ,पुलिस कर्मियों को पढ़ाया जा रहा नया कानून
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REPORT BY MADHAV BAJPAYEE
भारतीय दंड संहिता में दर्ज लगभग सभी प्रमुख धाराओं के संबंध में आम लोगों को जानकारी होगी जैसे दुराचार के मामले में 376, हत्या के प्रयास में 307, हत्या करने पर 302, धोखाधड़ी पर 420 आदि-आदि लेकिन अब अंग्रेजों के बनाए इन कानूनों में बदलाव होने जा रहा है। एक जुलाई से अब सभी धाराओं में बदलाव हो जाएगा और अंग्रेजी सरकार के समय से चली आ रही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
इसके बदल भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लागू हो जाएगी। इसे लेकर पुलिस विभाग अपने मातहतों को धाराओं का नया पाठ पढ़ा रहा है ताकि आपराधिक घटनाओं पर नई धारा के अनुसार कार्रवाई की जा सके। इसके लिये जिले स्तर पर पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग कराई जा रही है।
थानों से लेकर अदालतों में अभी तक अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1860 में बनाए गए कानून आईपीसी को ढोया जा रहा था। इसी के तहत रिपोर्ट दर्ज होती थी व अदालतों में सुनवाई होती थी। किसी भी एफआईआर को देखे तो उसमें सबसे पहले भारतीय दंड संहिता 1860 ही लिखा होता था। एक जुलाई से इसकी जगह एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता लिखा मिलेगा। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं हैं। पुलिस लाइन में इसे लेकर प्रशिक्षण भी चल रहा है।
वहीं, अधिवक्ता भी नए कानून की किताबें पढ़ रहे हैं। हत्या के लिए अभी तक धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज होती थी, लेकिन एक जुलाई से धारा 103 के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी। दुष्कर्म की धारा 376 की जगह मामला अब धारा 63 में दर्ज होगा। छेड़खानी की धारा 354 अब मानहानि की धारा होगी। पहले मानहानि की धारा 499 हुआ करती थी। इसी तरह डकैती की धारा 395 की जगह 310 (2) होगी।
हत्या के प्रयास में अभी तक धारा 307 लगती थी, लेकिन अब 109 के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी। धोखाधड़ी के मामले धारा 420 की जगह 316 में लिखे जाएंगे। इसी तरह से सभी अपराध की धाराएं परिवर्तित कर दी गई हैं। अब पुलिस कर्मी इसे पढ़ रहे हैं। नए कानून के तहत सात साल से ज्यादा सजा वाले मामलों में फॉरेंसिंक रिपोर्ट अनिवार्य होगी। इसके साथ ही अभी तक आरोपियों के हाथों में हथकड़ी लगाने का प्रावधान नहीं था। अब सात साल से ज्यादा सजा के मामले में पुलिस हथकड़ी का इस्तेमाल कर सकेगी।
अधिवक्ताओं को भी पढ़ना होगा कानूनी पाठ
बानगी के तौर पर अमेठी में जिले में करीब 21 सौ से अधिक अधिवक्ता हैं। एक जुलाई से नया कानून लागू होने पर अधिवक्ताओं को भी तमाम कठिनाइयों को सामना करना पड़ेगा। अधिवक्ताओं के सामने दिक्कत यह है कि पुराने मुकदमों की सुनवाई पुरानी धाराओं के तहत होगी। सजा का भी प्रावधान पहले वाला होगा। ऐसे में अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बढे़गी। अधिवक्ताओं को नए कानून के तहत जानकारी लेनी होगी।
पुलिस विभाग भी नए कानूनों पर कर रहा है तैयारी
पुलिस अधिकरियों, इंस्पेक्टरों और सब-इंस्पेक्टरों की कई ट्रेनिंग जिले स्तर पर हो चुकी हैं। इसके अलावा अभी भी आगे की कई ट्रेनिंग होनी हैं। कई राउंड की ट्रेनिंग ऑनलाइन भी करवाई गई हैं। इसके अलावा पीटीसी सुल्तानपुर में भी पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग के लिये भेजा जा रहा है.., हरेंद्र कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक, अमेठी