मृत्यु समय के चिंतन अनुसार पुनर्जन्म होता है- स्वामी मुक्तिनाथानंद
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REPORT BY AMIT CHAWLA
LUCKNOW NEWS I
सत् प्रसंग में रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद जी ने बताया कि मृत्यु के उपरांत क्या होता है, इसके बारे में प्राचीन काल से ही मनुष्य के जीवन में संशय विद्यमान है। कोई कहते हैं मृत्यु के बाद कुछ रह जाता है एवं कोई – कोई कहते हैं, मृत्यु के बाद सब समापन हो जाता है।
स्वामी जी ने बताया कि कर्मवाद के अनुसार हम जो कुछ कर्म करते हैं उसका फल हमें ही भुगतान करना पड़ेगा। अच्छा कर्म करने से अच्छा फल होगा एवं मंद कर्म करने से मंद फल होगा। स्वामी विवेकानंद कहते हैं “शुभ कर्म करने से शुभ फल होगा एवं मंद कर्म करने से मंद फल होगा यह नियम कोई नहीं रोक सकता है।”
लेकिन एक गुरूत्वपूर्ण बात है कि हमारे अंतिम मुहूर्त के चिंतन अनुसार पुनर्जन्म निर्धारित होता है। प्रसिद्ध संत बालानंद ब्रह्मचारी ने कहा, “जीवन में जो कुछ जप एवं कर्म किया जाए वो सब संचित रहता है लेकिन अंतिम चिंतन अनुसार हमारा पुनर्जन्म में प्रवेश होता है।”
स्वामी मुक्तिनाथानंद ने कहा हमें कभी भूलना नहीं चाहिए कि यह दुर्लभ मनुष्य जीवन मिला है ईश्वर को प्रत्यक्ष करते हुए यह जन्म मृत्यु चक्र से छुटकारा पाना। अगर हम जीवन का लक्ष्य भूल जाएंगे तब बारंबार इस धराधाम में आना पड़ेगा एवं जन्म मृत्यु का चक्र अनुगमन करना पड़ेगा।
अगर हम अपने जीवन का लक्ष्य याद रखते हुए सदैव ईश्वर के चरणों में प्रार्थना करते रहे तब इस जीवन में ही ईश्वर को प्रत्यक्ष करते हुए एवं ईश्वर के चरणों में सच्चा प्रेम समर्पण करते हुए यह मानव जीवन सफल और सार्थक हो जाएगा।