स्वामी जी ने कहा कि संघ के बिना बड़ा कार्य सिद्ध नहीं हो सकता-मुक्तिनाथानन्दजी
1 min readREPORT BY AMIT CHAWLA
LUCKNOW NEWS I
आधुनिक युग के महान सन्त स्वामी विवेकानन्द ने 01 मई 1897 को श्री रामकृष्ण के संतो व गृहस्थ भक्तों की एक वृहद सभा का आयोजन कोलकाता में बलराम बोस के निवास पर किया और एक समिति संगठित करने की इच्छा जाहिर की और कहा कि, ‘‘अनेक देशों में भ्रमण करने पर मैंने यह सिद्धान्त स्थिर किया है कि बिना संघ के कोई भी बड़ा कार्य सिद्ध नही हो सकता।
यह संघ उन श्रीरामकृष्ण के नाम पर स्थापित होगा जिनके नाम पर भरोसा कर हम सब संन्यासी हुए और आप सब महानुभव जिनको अपना जीवन आदर्श मानकर संसार – आश्रम स्वरूप कार्यक्षेत्र में विराजित है। हम सब प्रभु के सेवक है। आप लोग इस कार्य में सहायता दीजिये’’।
उसी दिन से रामकृष्ण मिशन एसोसिएशन ने अपनी यात्रा की सौम्य शुरूआत की और 127 वर्षों के गरीमामयी यात्रा के दौरान अब एक बृहद परोपकारी संगठन के रूप में विश्व मानचित्र के पटल पर 24 देशों में 279 शाखाओं के रूप में फैला चुका है जिसका मुख्यालय भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के हावड़ा जनपद के अन्तर्गत बेलूर मठ में स्थापित है।
रामकृष्ण मिशन का ध्येयवाक्य है – ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगद् हिताय च’ (अपने मोक्ष और संसार के हित के लिये)। रामकृष्ण मिशन को भारत सरकार द्वारा 1996 में डॉ0 आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार से और 1998 में गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
बुधवार 01 मई रामकृष्ण मिशन का 127वाँ स्थापना दिवस बडे ही हर्षोल्लास के साथ रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ के श्री रामकृष्ण मन्दिर के प्रेक्षागृह में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ के स्वामी इष्टकृपानन्द जी के नेतृत्व में वैदिक मन्त्रोंचारण के साथ मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जलन करके हुआ।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के प्रबन्धक समिति के अध्यक्ष श्री अमोद गुजराज जी ने समारोह में आये हुये भक्तगणों, सन्यासियों एवं अतिथियां का स्वागत किया। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ के स्वामी रमाधीशानन्द ने 01 मई 1987 को हुई इस घटना के इतिहास व स्वामी विवेकानन्द के ‘वाणी व रचना’ से पाठ किया।़
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड रामकृष्ण-विवेकानन्द भाव प्रचार परिषद के पूर्व संयोजक डॉ0 हीरा सिंह स्थापना दिवस की शुभकामना देते हुए अपने सम्बोधन में बताया कि रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम अपनी स्थापना से लेकर आज तक गरीब, पिछड़े वर्गो एवं आम जनता के सहायता अनवरत रूप से कर रहा है साथ ही साथ शिक्षा एवं आध्यात्म के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम निरन्तर रूप से कर रहा है ताकि उनका उत्थान किया जा सके।
रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ के सचिव, स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन देते हुए कहा कि रामकृष्ण मिशन एक ऐसा अनूठा संगठन है जो गृहस्थ भक्तों एवं सन्यासीयों की मिलन क्षेत्र है ताकि सब मिलकर साथ-साथ ईश्वर की उपासना तथा मनुष्यों की सेवा कर सके। श्रीरामकृष्ण एक ही साथ एक आर्दश गृहस्थ तथा आर्दश सन्यासी थे। रामकृष्ण संघ उन्हीं का एक विराट शरीर है। अतः यह संगठन भी अनुरूप है।
धन्यवाद ज्ञापन रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के प्रबन्धकारिणी के उपाध्यक्ष श्री किरोन चोपड़ा जी ने रामकृष्ण मिशन की 127वीं स्थापना दिवस के लिए शुभकामनायें एवं बधाईया दी और मिशन से जुडे हुये सन्तजनों के इस अनुकरणीय कार्य के लिये भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कार्यक्रम का समापन में रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, लखनऊ के स्वामी पारगानन्द ने मधुर संगीत की प्रस्तुति दी जिससे उपस्थित भक्त मंत्रमुग्ध हो गये। तत्पश्चात प्रसाद का वितरण उपस्थित भक्तगणों के मध्य किया गया।