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जप दिवस : जप-तप-साधना में सर्वोच्च शक्ति है

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REPORT BY PRADEEP CHHAJER 

BORAVAR, RAJSTHAN। 

सहज प्रश्न होता है जप आदि क्यों ? इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य है समता की साधना । यह जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है । समता से बड़ी दुनिया में कोई उपलब्धि नहीं है ।
धन मिला , सता मिली , सबकुछ मिला , किंतु समता नहीं मिली तो सुख नहीं मिला । फलत: आदमी दुःख में ही जिएगा । समता के बिना प्रत्येक मनुष्य दुःख का जीवन जीता है ।

धन , पदार्थ ,सत्ता नुकूल योग – ये सब सुख के परंपर हेतु बन सकते है , अनंतर नहीं । सुख के निकट हेतु हो सकते है , निकटतम नहीं । सुख का जो निकटतम साधन है , वह है समता । समता है तो पदार्थ भी सुख दे सकता है । सुख का कारण बन सकता है । यदि समता नहीं है तो हजार पदार्थ होने पर भी मन बैचेन , उदास और संतप्त बना रहता है । इन सबको मिटाने के लिये आवश्यक है समता की साधना ।

मंत्र जप आदि करने से मन को शांति की प्राप्ति होती है इस मन- उपवन में ख़ुशियों के फूल खिलते है। जप-तप-साधना में सर्वोच्च शक्ति है मन की शक्ति इस पर नियंत्रण से ही होती है सफलता की प्राप्ति । वैसे तो निराशा हमे हर समय घेरे रहती है । जप के समय चिंताएं भी सताती है । हृदय की टीस बार – बार उठती है । इष्ट स्मरण के समय भी विचारों से मुक्ति नही मिलती है ।

भूली बिसरी यादें स्मरण में बाधा डालती है । और तो और चंचल मन की बढ़ती गति अभ्यास में क्षति पहुँचाती है ।इसलिए हमारे पूर्वजों ने साधना और ध्यान पद्धति का मार्ग बताया ।अपने लक्ष्य की प्राप्ति और ध्यान हेतु मन की शक्ति जो हमें हीन भावना से उबारेंगी तभी होगी प्रगति सर्वोच्च शक्ति की मन की शांति की ।

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