विश्व मानने लगा है भारत यूएनएससी का बने स्थायी सदस्य
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प्रो. कन्हैया त्रिपाठी
(PRO KANHAIYA TRIPATHI)
भारत में शानदार जी-20 सम्मलेन वन अर्थ, वन फैमिली के साथ वन फ्यूचर पर केन्द्रित रहा. इस पुरे समारोह को सदस्य देशों, आमंत्रित देशों ने आत्मसात किया. जी-20 से भारत की उपलब्धियों, बौद्धिकता, विविधता, ज्ञान-विज्ञान- संस्कृति और शक्ति-सामर्थ्य से अब दुनिया का भरपूर साक्षात्कार हुआ है. अब जी-20 के सदस्य देश यह मानने लगे हैं कि हमारे सरोकार साझे होने चाहिए और हमें अब एक पृथ्वी और एक परिवार की भावना से आगे बढ़ने के लिए काम करना चाहिए. सभी देश एकत्रित हुए तो आर्थिक और वित्तीय मजबूती, टिकाऊ संतुलित और समावेशी विकास के लिए जी-20 की सामूहिक जिम्मेदारी की बात हुई.
सांस्कृतिक क्षेत्र में तेजी से विकास की बात हुई, दक्षिण पूर्व एशिया और दुनिया की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता, निवेश और योगदान की बात हुई जिससे चिन्हित जोखिमों को के खिलाफ़ सामूहिक कार्रवाई पर सामूहिक पहल होगी. सभी देशों ने यह महसूस किया है कि हमारे साझे प्रयास हमारी साझी विकास यात्रा में सहयोगी साबित हो सकते हैं. आज वन अर्थ, वन फैमिली के साथ वन फ्यूचर के नए इनिशिएटिव जी-20 के लिए अनिवार्य हो गए हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा कनेक्ट हो दुनिया और कृषि, वाणिज्य, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय समस्याओं और सहयोग पर व्यापक सुधार व बदलाव के आसार हैं.
यदि अब तक भारतीय मेजबानी के ही महनीय प्रयास, आह्वान और इनिशिएटिव को परखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि भारतीय इतिहास में जी-20 की यह सौहार्दपूर्ण भारतीय अध्यक्षता पूरी पृथ्वी पर चर्चा के केंद्र बनी है. भारत से पूरी सभ्यता ने पहले भी सीख ली और अब जब जी-20 के बहाने सभी देश इसमें शामिल हुए तो लोकतंत्र की जननी माने जाने वाले भारतीय शक्ति व प्रज्ञा से बहुत कुछ पुनः सीख कर गए हैं. भारत का नाम स्वर्णिम इतिहास में अंकित हुआ है. आवश्यकता इस बात की है कि सामासिक संस्कृति और समष्टिगत भावनाओं के साथ भारत अपनी प्रकृति, मनुष्यता और शांति के प्रति वकालत को धार देता रहे. सतत विकास लक्ष्यों की ओर सबका ध्यान मुखर होकर केन्द्रित करे तो ऐसा कहा जा सकता है कि भारतीय प्रयास और सकारात्मक उसके प्रतिफल से पूरी पृथ्वी के लोग लाभ प्राप्त करेंगे. भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की लीडरशिप और शेरपा अमिताभ कान्त के साथ इस पूरी अध्यक्षीय गरिमा के साथ जुड़े लोग निःसंदेह भारत के लिए हर कीमत पर जी-20 को श्रेष्ठ सम्मान दिलाये हैं जिससे पूरी दुनिया ऊर्जावान हुई है और आने वाले समय में इसका असर भी दिखने वाला है जो सबके सभी के लिए मंगलकारी होने वाला है.
भारत के लिए सबसे खास ऐतिहासिक अवदान यह भी रहा कि उसने अफ्रीकन यूनियन को जोड़कर जी-20 की ताकत को बढ़ाया. अगली अध्यक्षता अब ब्राजील करेगा. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस स्तर पर जी-20 का वर्ष भर सांस्कृतिक रूप से ऊंचाई प्रदान की उसे अब ब्राज़ील को निभाना होगा. इस समूह की गरिमा को बरक़रार रखना होगा यद्यपि ब्राज़ील की अपनी बहुत सी चुनौतियाँ भी हैं. भारत के प्रधान मंत्री ने अपने समापन समारोह में साफ-साफ कहा कि ब्राज़ील को हम पूरा सहयोग देंगे और हमें विश्वास है कि उनके नेतृत्व में, जी-20 हमारे साझा लक्ष्यों को और आगे बढ़ाएगा. उन्होंने
ब्राज़ील के राष्ट्रपति और मेरे मित्र लूला-डी-सिल्वा कोप्रे सीडेंसी का गेवल सौंपा और ससम्मान शुभकामनाएं दी. प्रायः जब एक देश अपनी पारी पूर्ण करता है तो यह गेवल अपने नए अध्यक्ष को सौंपता है और सदस्य देश उसकी मेजबानी में आगे की रणनीतियां तय करते हैं. हाँ, जो रोडमैप बना है उसे वे आगे ले जाएँ तो निश्चय ही पूरी पृथ्वी का भला होगा. प्रधान मंत्री ने गेवल सौपते हुए जो पृथ्वी के लिए कामना की वह अद्भुत थी कि वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर का रोडमैप सुखद हो. दूसरी बात, स्वस्ति अस्तु विश्वस्य! यानि संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो. यह आशा भरी कामना भविष्य को संवारने के लिए प्रेरणा है, देखना यह होगा कि आने वाले समय में दिल्ली में एकत्रित सभ्यता के नियामक कितने मनोयोग से इसको लेकर आगे बढ़ते हैं.
फ़िलहाल, विश्व इस बात के लिए विवश है कि तेजी से बदलती दुनिया में हमें परिवर्तन के साथ-साथ जीना होगा, स्थायित्व और स्थिरता प्राप्त करके आगे बढ़ना होगा. जी-20 के महासम्मेलन में हरित विकास पैक्ट, एसडीजी-2030 पर तीव्र कार्ययोजना, भ्रष्टाचार विरोधी उच्च स्तरीय सिद्धांतों पर सहमति, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना व अन्य सुधारों की संकल्पना पर सभी देश एकमत हैं और सबने यह कहा कि हम संकल्पों को पूरा करने का प्रयास करेंगे. ख़ास बात यह भी इस जी-20 का माना जाएगा कि जी-20 के सदस्य देशीं के नेताओं ने ऐतिहासिक स्थल राजघाट पर महात्मा गांधी और उनके द्वारा अपनाए गए शाश्वत आदर्शों को स्मरण किया. जी-20 परिवार ने शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को स्मरण करते हुए सामंजस्यपूर्ण, समावेशी एवं समृद्ध वैश्विक भविष्य के सामूहिक दृष्टिकोण विकसित करने पर सहमति जतायी.
भारत की ताकत अब जैसे धूप पसरती है सुबह-सुबह लालिमा लिए उस तरह से अब फैली है. भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है. भारत का अध्यात्म और उसकी सनातन विरासत ने पूरी पृथ्वी के लोगों को चकित किया है, ऐसा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्तिपूर्ण बात नहीं होगी. ऐसी बात हो भी क्यों नहीं, स्व से समष्टि की सोच, अहं से वयं की यात्रा की पहल करता कौन है. सब देशों में अपनी शक्ति बढ़ाने की जहाँ होड़ लगी है, भारत एक ऐसा देश है जो वैश्विक कल्याण, वैश्विक भविष्य की कामना कर रहा है. भारत ने जी20 नई दिल्ली में नेताओं की घोषणा के मूल प्रपत्र में लिखा हमारा मूलमंत्र ही एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य है. यह भारत की उद्दात्त होने की पराकाष्ठा है. आज स्थिति यहाँ तक पहुँच गयी है कि भारत अपने स्थापित मूल्यों की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासचिव को यह कहने के लिए बाध्य कर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत को होना चाहिए. निःसंदेह जी-20 से भारत की गरिमा बढ़ी है और उसे अब इसी आत्मशक्ति से आगे भी मीलों चलते रहने की ज़रूरत है ।
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लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं। आप केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब में चेयर प्रोफेसर, अहिंसा आयोग व अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं।