मेरी आजादी तो अम्मा_______
1 min readलाली और टुईयाँ (दो बच्चियों का नाम है) अपनी अम्मा से आजादी का मतलब पूँछ व समझा रही हैं।
आज सबेरे भाग के आई
दरवज्जे पे टुईयाँ,
खटिया बैठी अम्मा बोली,
कहाँ गई थी गुइयाँ?
बोली टुइयाँ गई स्कूल में
होती रहै मुनादी
लड़्डू बाँटत मास्टर बोलैं
आज मिली आजादी !!
बात समझ न आई ये
सब बोलें सूदी-सादी
अम्मा बता दो हमको
होती क्या है आजादी?
पास बुला के बिटिया को
अम्मा ने चिपटाया
ले गोदी में हाथ फेर फिर
राज उसे बतलाया !!
आजादी आएगी तो ना
होंगे कच्चे ये घर
पक्की सभी दीवारें होंगी
पक्के होंगे छप्पर !!
आजादी के माने सबका
मान बराबर होगा
हाथ जोड़ के पास बिठा के
बतलाऐंगे दरोगा !!
आजादी में मिलेगा सबको
भर भण्डार अनाज
हो जाएगा गाँव में ही
सब रोगों का इलाज !!
बिना धक्कों के खाद मिलेगी
सबको बारी – बारी
खुद से दाखिल खारिज करने
आऐंगे पटबारी !!
कोई न धमकाएगा फिर
कि हो तुम छोटी जात
टुइयाँ मेरी करेगी सीधे
तहसीलदार से बात !!
दो जोड़ी चप्पलें मिलेंगी
फटे न पैर बिवाई
सभी बिमारों की घर बैठे
डाक्टर देंगे दवाई !!
कंडक्टर फिर भाड़ा खातिर
करैं न मारा- पीट
शहर जाएं जो तेरे बापू
मिले रेल में सीट !!
रोज सफाई हो गांव में
आए न कोई बिमारी
चारागाह पर जाकर खेलें
गाय, बकरियाँ सारी !!
मंजन करने सबको मिलेगी
प्लाट्टिक वाली दातुन
खूब नहाने सबको मिलेगा
खुसबू वाला साबुन !!
कोटेदार फिर घर आ करके
दे जाएगा राशन
पोस्टमास्टर बाबूजी का
भिजवाएगा पेंशन !!
ध्यान लगाकर सुनत रही
उतरी गोदी से लाली
आँख डाल के आँखों में
दिल की बात निकाली !!
मेरी आजादी तो अम्मा
कर देना हर हाल
मेला में तो अबकी लूंगी
नाचने वाली डॉल !!
रोज मिले एक बरफ का गोला
मिले मुसम्मी जूस
रोज सबेरे दे तू अम्मा
भर गिलास में दूध !!
पढने के लिए दिलवाय दे तू
इक सिलेट और चाक
शहर में जैसी पहनें लडकियाँ
फूलों वाली फ्राक !!
मोटा सा एक स्वेटर मिल जाय
पायल मिले चमाचम
घी की पूड़ी और चूरमा
साथ मे होए चमचम !!
अम्मा इत्ती सारी बातें
जब हैं आधी-आधी
मिली नहीं तो कैसै कह दें
मिल गई है आजादी ??
राजू पाण्डेय बहेलियापुर (अमेठी)