वफ़ा की राह में मिटने का ग़म नहीं मुझको_________
1 min readअदबी व शेरी नशिस्त का आयोजन
बहराइच I नानपारा मे मोहम्मद ख़ालिद (इसरार) जय हिन्द मेडिकल स्टोर वाले के मकान पर अदब नवाज़ मरहूम हाजी अब्दुल समद साहब की याद में एक अदबी व शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। इस प्रोग्राम की सदारत अज़ीज़ अहमद वारसी साहब ने किया और निज़ामत नौजवान शायर ज़ौक जरवली ने अन्जाम दिये।
नशिस्त का आग़ाज़ इन्क़लाब अशरफ़ी नानपारवी ने अपनी नाते पाक से किया। इस शेरी नशिस्त में काफी शोअरा ने शिरकत की और अपने कलाम पेश किये-
पकड़ा दामन नबी का बिलाल ने जब,
ख़ूबरू हो गये ख़ुशनुमा हो गये॥
(इन्क़लाब अशरफ़ी)
करता रहा वो ख़िदमते उर्दू तमाम उम्र,
ख़ुद को अदब के नाम पर क़ुर्बान कर गया॥
(काशिफ़ नानपारवी)
दिल में जब से आया तामीरे नशेमन का ख़याल,
रोज़ ख़्वाबों में नज़र आता है वीराना मुझे॥
(हसन शंकरपुरी)
वफ़ा की राह में मिटने का ग़म नहीं मुझको,
तमाम शहर में मातम है क्या किया जाये॥
(शहीद नानपारवी)
मैंने तेरे तलवों को छुआ पाक समझ कर।
तू मुझको उड़ाता ही रहा ख़ाक समझकर॥
(सोशन नानपारवी)
चराग़ों पर तबाही आ गयी है।
वो देखो फिर से आंधी आ गयी है॥
(नज़र बहराइची)
शजर को अपने तू सरसब्ज़ रखना,
वगरना सब जलाकर ताप लेंगे॥
(ज़ौक जरवली)
वो क़ाहिर चढ़ती दरिया की रवानी छीन लेता है।
जो आंखों के समन्दर का भी पानी छीन लेता है॥
(रौशन ज़मीर)
कभी रोना कभी हंसना कभी हंसकर रोना,
ज़िन्दगी ने है किया ख़ूब तमाशा अब तक॥
(लाल नानपारवी)
वो ख़ुद काट लेते हैं हाथों को अपने,
किसी का जो दस्ते करम देखते हैं॥
(मंज़ूर बहराइची)
इस क़दर मुझसे लिपट कर मेरे बच्चे रोये,
मुद्दतों बाद मैं परदेस से घर आया था॥
(मेराज नानपारवी)
इनके अलावा हाफिज़ जमील, कैफ़ नानपारवी, शम्स नानपारवी, रेहान बरकाती, अनवार बरकाती, ज़ाकिर नानपारवी, आसिफ़ नानपारवी वगैरह ने अपने अशआर पेश किये। इस मौक़े पर अब्दुल रब इकराम, रहमत अली हाशमी, अफ़ज़ाल मलिक, अब्दुल वहाब मलिक, कफ़ील अहमद, मोहम्मद मोहसिन मलिक, लल्लन अन्सारी, ज़ियाउद्दीन वगैरह मौजूद रहे। प्रोग्राम के आख़िर में कन्वीनर काशिफ़ नानपारवी और आयोजक मोहम्मद ख़ालिद इसरार ने सभी आये हुये मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
RIPORT – ABDUL KHABEER (BAHRAICH)