तुम्हारा ख़फ़ा होना वाजिब है,आखिर ______
1 min readकहना चाहती हूँ बहुत कुछ तुमसे,
सुनना चाहती हूँ बहुत कुछ तुम से ।
मगर पहले तुम ये बताओ,
क्या तुम ख़फ़ा हो मुझसे ।
अगर ऐसा है, तो ये बताओ कि,
क्या खाता हुई है मुझसे ।
देखो सच सच बताना,
झूट की चाशनी में शब्दों को ना डुबोना,
हम जानते हैं, बहुत आता है तुम्हें, बातों को घुमाना,
तुम्हें बहुत शिकायत रहती ना हैं मुझसे ।
तुम्हारा ख़फ़ा होना वाजिब है, आख़िर जाने अनजाने दिल दुखा ही देते हैं हम तुम्हारा,
क्या अब तुम कभी बात नहीं करोगे मुझसे ।
देखो ऐसा ना करना, मर जाएँगे हम वरना,
हम अच्छे बुरे चाहे जैसे भी हैं,
थोड़ा झेल लो ना हमको,
तुम बताते नहीं हम जता देते है हैं,
वैसे प्यार तो तुमको भी बहुत है मुझसे ।
मत बताओ,हम बिन कहे ही तुम्हारे मन कि बात जानते हैं,
जितनी हम तुम्हारी परवाह करते हैं,
उससे कहीं ज़्यादा तुम्हें परवाह है हमारी,
हम गा देते हैं और तुम बिन कहे करते हो चिंता हमारी,
लेकिन हम ऐसे ही हैं, बिन जताए रहा जाता नहीं हमसे।
चलो अब ग़ुस्सा छोड़ो, मान जाओ बात हमारी,
ना तुम बदलो ना ही हम बदल सकते है,
बस समझनी हैं एक दूजे को भावनाएँ हमारी,
बस एक बात याद रखना, दिलों में दूरियाँ ना लाना कभी भी,
क्योंकि दूरी हरगिज़ सही जाएगी ना मुझसे ।
जो कहा है ज़रा समझने की कोशिश करना,
मैं तुमसे कभी ख़फ़ा नहीं होती,
इसलिए तुम भी ख़फ़ा मत रहा करो मुझसे ।
सुमन मोहिनी
( नई दिल्ली)