मन में जिसने ठान लिया दूर नहीं फिर जीत_____
1 min readजीतने वाले को कोई हरा सकता है क्या
किसी की हस्ती कोई मिटा सकता है क्या
कर लिया इरादा जिसने आसमाँ पर पैबंद लगाने का
ये आँधी तूफ़ान हौसला उसका पस्त कर सकता है क्या
हिम्मत तू बस अपनी कभी हारना नहीं
हालातों के आगे घुटने कभी टेकना नहीं
तू चाहे तो सहरा में नदियाँ बहा सकता है
ऐसा करने से तुझे कोई रोक सकता है क्या
मन के हारे हार है मन के जीते जीत
मन में जिसने ठान लिया दूर नहीं फिर जीत
अटल इरादा तेरा हर सागर को पार कराएगा
कोई बवंडर तेरा रास्ता रोक सकता है क्या
दुख से ना घबराना तू और सुख की चाह ना रखना
हाथों इन लकीरों पर भरोसा ज़्यादा तुम ना करना
मेहनत तेरी ये एक दिन रंग ज़रूर लाएगी
मेहनत तेरी तुझे तक़दीर बदलने से रोक सकती है क्या
हालात चाहे जैसे भी हों धैर्य से ही काम लेना
थामे रहना पतवार लहरों से ना तुम घबराना
माना डगमगाएगी कश्ती सफ़र में हज़ारों बार
मगर साहिल पर आने में तुम्हें कोई रोक सकता है क्या
— सुमन मोहिनी (नई दिल्ली)