प्रकृति के गुस्से का शिकार हो रही धरती- डॉ अर्जुन पाण्डेय
1 min read
अमेठी I वुधवार नगर स्थित ओम् नगर में अमेठी जलबिरादरी की ओर से ‘वैसाख में बर्फ- कारण एवं प्रभाव ‘ विषय पर आधारित संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष अमेठी जल बिरादरी डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि आज मानव एवं प्रकृति के रिश्ते बिगड़ चुके हैं।
प्रकृति के गुस्से का शिकार भूमंडल सहित आज पहाड़ हो चुका है। पहाड़ों पर दिसम्बर जनवरी में पड़ने वाली बर्फ यदि वैसाख माह में होगी तो इसका भयंकर प्रभाव न केवल व्यापक जलवायु परिवर्तन को जन्म देगा साथ ही सेहद, स्वास्थ्य के साथ क़ृषि एवं सम्पूर्ण जीव-जंतुओं के ऊपर पड़ेगा।
गर्मी, सर्दी एवं बरसात का समय न होना बेहद चिंताजनक है। आवश्यकता इस बात की है प्रकृति पर विजय पाने की लालसा छोड़ कर उससे प्रेम करें। मुख्य अतिथि संतोष कुमार श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज की पीढ़ी भोगवादी संस्कृति एवं विकास के नाम पर पहाड़ों की प्रकृति बदलने में लगी है , जिसका दुष्प्रभाव सम्पूर्ण दुनिया में परिलक्षित है।
पुरानी पीढ़ी की तरह समझ एवं संवेदना द्वारा जलवायु में हो रहे व्यापक परिवर्तन उबर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि कैलाश नाथ शर्मा ने कहा कि प्रकृति से तालमेल बनाने की जरूरत है, इसके लिए जनमानस को जागरूकता के साथ अपने लोभ का संबरण करना होगा।
हिमांशु पाण्डेय प्रखर ने कहा कि धरती पर सन्तुलन कायम रहे इसके लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कम किया जाए अन्यथा एक न एक दिन प्रकृति आपदाओं के माध्यम से समायोजन जरूर करेगी।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य सत्येन्द्र प्रकाश शुक्ल ने कहा कि मानव को प्रकृति की प्रकृति को बदलने के बजाय अपनी ही प्रकृति को बदलना होगा।
समय रहते सचेत न हुये तो गम्भीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। संगोष्ठी को जल प्रहरी अंजली तिवारी एवं मोनी तिवारी ने भी संबोधित किया।