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गजब का उदाहरण, गजब की सोच..

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स्वयं के दोष देखे बिना जीवन में कल्याण नहीं होता है । हमें दूसरों के दोष कभी भी नहीं देखना चाहिए बल्कि स्वयं के दोष पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए । अपनी गलती कमी को स्वीकार किए बिना सफलता के शिखर पर कोई भी नहीं पहुंच सकते हैं । हमारी दृष्टिभाव में दोष है तो पहले उसे दूर करना होगा तभी सफलता मिल सकती है ।

अतः जिस प्रकार सूई छेद करती है पर सूत अपने शरीर का अंश दे कर भी उस छेद को भर देता है । उसी प्रकार हमें भी दूसरों के छिद्रों (अवगुणों) को भर देने अर्थात् ख़त्म कर देने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देना चाहिए। जीवन में खुशियां संपत्ति और साधन से नहीं बल्कि संतोष, संतुष्टि , सकारात्मक सोच व प्रेम आदि से मिलती हैं। जिस तरह चंदन का पेड़ अपनी सुगंध चारों और फैलाता है I

उसी तरह यदि हम अपने जीवन में सकारात्मक उर्जा और खुशी के साथ ( आजकल समय का अभाव है) बुजुर्गों के पास थोड़ा समय निकालकर उनके पास बैठें तो उनके चेहरे का नूर देखने लायक होगा और हाथ आशिष के लिए उठें रहेंगे। किसी जरुरतमंद की सहायता कर सकें या किसी के चेहरे पर हंसी ला सकें तो खुशी की बात होगी। बस हमारा नजरिया खुशी बांटने वाला हो। जीवन का अंकगणित भी यही है सब के प्रति प्रेम+ सहायता +प्यारी सी मुस्कुराहट+ सकारात्मक सोच ==मिलेगी खुशियां अपरंपार ।

तभी तो कहा है कि जिसके पास जो है वही तो वह बाँटता है। जैसे सुखी सुख बाँटता है, दुखी दुःख बाँटता है, ज्ञानी ज्ञान बाँटता है। जो खुद डरा हुआ है वह औरों को डराता है।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान)

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