Lok Dastak

Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi.Lok Dastak

जीवन की साँसें हैं सीमित….

1 min read
Spread the love

हमारे जीवन की सीमित साँसो को कैसे , कब , कहाँ , किस तरह आदि जीना हमारे ऊपर निर्भर करता हैं । इंसान की उत्पत्ति ही अपने आप में एक सबसे बड़ा अजुबा है।भगवान ने इंसान की बड़ी अद्भुत रचना बनायी है।शरीर एक पर उसके हर अंग का क़ार्य अलग अलग। दिमाग़ इंसान का दिमाग़ इतना शक्तििशाली होता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते ।

आज जो क़ार्य कम्प्यूटर कर रहा है उसकी देन भी एक इंसान ही है। और ना जाने कितने-कितने अविश्वसनीय अविष्कार भी इंसान की ही देन है। आँखें जिससे हम संसार को देखने का अनुभव कर सकते हैं।अगर आँखों की रौशनी नहीं तो दिन रात अंधेरा ही नज़र आयेगा।
नाक से हम साँस लेते हैं और गंध को भी महसूस कर सकते हैं।

साँसें आती है तो हम ज़िंदा हैं।वंहि जैसे ही इंसान की साँसें आनी बंद हुयी उधर उसकी मृत्यु।कान कानो से हम बाहर की ध्वनि और एक दूसरे की बात सुन सकते हैं। जीब जीब से हम स्वाद का अनुभव कर सकते हैं और ठंडे-गर्म का भी। मेरा यही मत है कि एक इंसान की रचना और इंसान का हर हिस्सा ही अपने आप में एक आश्चर्य है क्योंकि उसकी साँसे सीमित हैं ।

कुछ रचनात्मकता जगाएँ , कुछ सकारात्मकता जगाएँ ताकि हमारा जीवन सफल हो जाए। हमारे चेतन में ये भाव सदा जागृत रहें।कभी भी हो सकती हैं हमारे जीवन की इतिश्री । हम बिछाते रहें जीवन आँगन में पुण्य की दरी ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright ©2022 All rights reserved | For Website Designing and Development call Us:-8920664806
Translate »