वरिष्ठ नागरिकों की स्मृति क्षति (Memory Loss)
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कहते है कि वरिष्ठ नागरिकों को बात करते रहना चाहिये जिससे उनको मानसिक सुख तो मिलेगा ही साथ में तरोताजा भी वह अपने आपको महसूस करेंगे । साधारणतया कहा जाता है की उम्र के इस दौर में बच्चो की स्थिति हो जाती है । यह स्थिति में निर्भार रहकर बोल बतलाकर कर अच्छी से अच्छी अपनी स्मृति को रखा जा सकता है ।
कुछ पंक्तियाँ आजकल नया सा दौर चल रहा है । धीरे – धीरेआदमी इसमें बदल रहा है। कलयुग भी चाल शनैः शनैः चल रहा है । बिना तीली के ही आदमी- आदमी से जल रहा है। अपनेपन काएहसास सूरज की तरह ढल रहा है । वो दूर होता जा रहा है जो पास- पास पल पल रहा है। बार- बार मन में एक सवाल खल रहा है ।क्षण-क्षण मानव प्रकृति, क्यों बदल रहा है। क्योंकि जब हम प्रसन्न होतें हैं तो मन ही मन गुनगुनाने लगतें हैं लेकिन यह अनुभव हम स्वयंही जान पाते हैं ।
अतः हमें कब किस के सामने हारना,कब जितना, कब मौन रखना कब बोलना कब संतुलित होंना कब विनम्रतापूर्वकपेश आना आदि तब कहि जाकर इस जीवन नौका को हम पार पहुँचाने की कोशिश कर सकते है । विवेक जीवन का नमक है और कल्पना उसकी मिठास ।एक जीवन को सुरक्षित रखता है और दूसरा उसको मधुर बनाता है। गम्भीरता आसमान छू रहीं है जिससे तनावबादल के रूप में बन हर तरफ छा रहा है ।
इसका परिणाम यह हो रहा है की इन्सान कठिनाईयो को नहीं झेल पा रहा हैं । इसीलियें बातकरना हँसना भी एक व्यायाम हैं । यह एक प्रकार की ऐसी थैरेपी हैं जिससे बुजुर्गों को बीमारियों कीं रोकथाम करने में बहुत सफलताप्रदान करती हैं । विपरीत इसके नहीं होने कीं क़ीमत से दवाई कीं दुकान पनप रही हैं ।
चूँकि हँसना बात करना भी एक दवा का नाम हैं ।जिसका मिलना आजकल आसान नहीं हैं । याददाश्त ह्रास की चिकित्सा के लिए बहुत लाभप्रद बताया जाता है।
प्रदीप छाजेड़
(बोरावड़ , राजस्थान)