बनारसी लंगड़ा आम और पान जीआई टैग के साथ दुनिया के बाजार में देगा दस्तक
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लखनऊ । काशी ने एक बार फिर जीआई के क्षेत्र में अपना परचम लहराया है और यहां के चार नए उत्पाद जीआई की झोली में आए। जिससे काशी क्षेत्र में अब कुल 22 और उत्तर प्रदेश में 45 जीआई उत्पाद दर्ज हो गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इन प्रयासों का अब असर दिखने लगा है।
जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ रजनीकान्त ने बताया कि नाबार्ड उप्र एवं योगी सरकार के सहयोग से प्रदेश के 11 उत्पादों को इस वर्ष जीआई (GI) टैग प्राप्त हुआ है। जिसमें सात उत्पाद ओडीओपी(ODP) में भी शामिल हैं और चार कृषि एवं उद्यान से संबंधित उत्पाद काशी क्षेत्र से हैं। इसमें बनारसी लंगड़ा आम (MANGO) (जीआई पंजीकरण संख्या – 716), रामनगर भंटा (717), बनारसी पान (730) तथा आदमचीनी चावल (715) शामिल हैं। इसके बाद अब बनारसी लंगड़ा जीआई टैग के साथ दुनिया के बाजार में दस्तक देगा।
बनारसी ठंडाई, लाल भरवा मिर्च, तिरंगी बर्फी भी कतार में
उन्होंने बताया कि बनारस (BANANAS) एवं पूर्वांचल के सभी जीआई उत्पादों में कुल 20 लाख लोग शामिल हैं और लगभग 25,500 करोड़ का सालाना कारोबार होता है। डॉ रजनीकान्त ने कहा नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) उप्र के सहयोग से कोविड के कठिन समय में उप्र के 20 उत्पादों का जीआई आवेदन किया गया था। जिसमें लम्बी कानूनी प्रक्रिया के उपरांत 11 जीआई टैग प्राप्त हो गए।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले माह के अन्त तक शेष नौ उत्पाद भी देश की बौद्धिक सम्पदा में शुमार हो जाएंगे। जिसमें बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडई और बनारस लाल भरवा मिर्च के साथ चिरईगाँव का करौंदा भी शामिल रहेगा। पूर्व में बनारस एवं पूर्वांचल (PURVANCHAL) से 18 जीआई रहे हैं।
जिसमें बनारस ब्रोकेड एवं साड़ी, हस्तनिर्मित भदोही कालीन, मिर्जापुर हस्तनिर्मित दरी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी वूडेन लेकरवेयर एण्ड ट्वायज, निजामाबाद ब्लैक पाटरी, बनारस ग्लास बीड्स, वाराणसी साफ्टस्टोन जाली वर्क, गाजीपुर वाल हैगिग, चुनार बलुआ पत्थर, चुनार ग्लेज पाटरी, गोरखपुर टेराकोटा क्राफ्ट, बनारस जरदोजी, बनारस हैण्ड ब्लाक प्रिन्ट, बनारस वूड काविंग, मिर्जापुर पीतल बर्तन, मऊ साड़ी भी शुमार है।
हजारों किसानों का होगा जीआई अथराइज्ड के रूप में पंंजीकरण
नाबार्ड के एजीएम अनुज कुमार सिंह ने संबंधित सभी किसानों एवं उत्पादकों, एफपीओ के साथ ही जुड़े हुए स्वयं सहायता समूहों को बधाई दिया और कहा कि आने वाले समय में नाबार्ड इन जीआई उत्पादों को और आगे ले जाने के लिये विभिन्न योजनाएं शुरू करने जा रहा है। जिसका बड़ा लाभ मिलेगा एवं वित्तीय संस्थाएं भी उत्पादन एवं मार्केटिंग के लिए सहयोग प्रदान करेंगी।
ज्ञात हो कि बनारस लंगड़ा आम के लिए जया सिड्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड, रामनगर भंटा के लिए “लकाशी विश्वनाथ फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनी, आदमचीनी चावल के लिए ईशानी एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड चन्दौली तथा बनारस पान (पत्ता) के लिए नमामि गंगे फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड एवं उद्यान विभाग वाराणसी ने ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन एवं नाबार्ड तथा राज्य सरकार के सहयोग से आवेदन किया था। जिससे यह सफलता प्राप्त हुई और आने वाले चार माह के अन्दर इन सभी चार उत्पादों में 1000 से अधिक किसानों का जीआई अथराइज्ड यूजर का पंजीकरण कराया जाएगा।
जिससे वह जीआई टैग का प्रयोग कानूनी रूप से कर सकें और बाजार में नकली उत्पादों को रोका जा सके। बता दें कि उप्र के सात ओडीओपी उत्पाद जिसमें अलीगढ़ ताला, हाथरस हिंग, मुज्जफरनगर गुड़, नगीना वुड कार्टिंग, बखीरा ब्रासवेयर, बाँदा शजर पत्थर क्राफ्ट, प्रतापगढ़ ऑवला को भी 31 मार्च को जीआई का टैग प्राप्त हो गया है।